iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2023-24 के खरीफ सीजन हेतु विभिन्न फसलों के उत्पादन का जो पहला अग्रिम अनुमान कुछ दिन पूर्व जारी किया था उस पर उद्योग- व्यापार क्षेत्र के विश्लेषकों विशेषज्ञों की लगातार प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
कृषि मंत्रालय ने दलहनों के संवर्ग में उड़द एवं मूंग का उत्पादन घटने का अनुमान लगाया है मगर तुवर का उत्पादन बढ़ने की संभावना व्यक्त की है जिससे सभी हैरान हैं।
समीक्षकों के अनुसार मूंग एवं उड़द का उत्पादन आंकड़ा काफी हद तक व्यावहारिक प्रतीत होता है लेकिन तुवर का उत्पादन बढ़ने की संभावना व्यक्त की है जिससे सभी हैरान हैं।
समीक्षकों के अनुसार मूंग एवं उड़द का उत्पादन आंकड़ा काफी हद तक व्यावहारिक प्रतीत होता है लेकिन तुवर का उत्पादन आंकड़ा वास्तविक नहीं लगता है।
मंत्रालय ने 34 लाख टन से कुछ अधिक तुवर (अरहर) के उत्पादन का अनुमान लगाया है जबकि हकीकत यह है कि इसका वास्तविक उत्पादन 30 लाख टन से भी कम होगा।
एक अन्य विश्लेषक के अनुसार सरकार ने प्रथम अग्रिम अनुमान में चावल, दलहन, तिलहन, मोटे अनाज, कपास एवं गन्ना आदि के उत्पादन में गिरावट आने की संभावना व्यक्त की है जिससे बाजार में तेजी-मजबूती का माहौल बन सकता है।
खाद्य महंगाई पहले से ही काफी ऊंचे स्तर पर है जबकि आगे यह कुछ और ऊंचा हो सकता है। विदेशों से आयात के जरिए इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी।
इसके तहत खासकर दलहनों एवं खाद्य तेलों का आयात बढ़ाना आवश्यक होगा क्योंकि इसकी घरेलू मांग एवं खपत नियमित रूप से बढ़ती जा रही है। चूंकि देश इसके उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है इसलिए इसकी कीमतों में मजबूती का माहौल बरकरार रहने की संभावना ज्यादा है।
अगस्त के रिकॉर्ड गर्म एवं शुष्क मौसम से राजस्थान में मूंग की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई और कर्नाटक में भी उसे नुकसान हुआ। इसी तरह प्रतिकूल मौसम के कारण विभिन्न राज्यों में उड़द की फसल को नुकसान हुआ।
इसी तरह प्रतिकूल मौसम के कारण विभिन्न राज्यों में उड़द की फसल को क्षति पहुंची। कुल मिलाकर दाल-दलहनों की कीमतों में ज्यादा नरमी आना मुश्किल लगता है।
एक समीक्षक का कहना है कि खरीफ फसलों के उत्पादन में आने वाली गिरावट का खाद्य, पेय पदार्थ, उर्वरक एवं बीमा कंपनियों के कारोबार तथा लाभांश पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और उसके शेयर मूल्य में गिरावट आ सकती है।