iGrain India - मुम्बई । उद्योग- व्यापार क्षेत्र के साथ-साथ अब सरकार ने भी मान लिया है कि प्रतिकूल मौसम से फसल को हुए नुकसान के कारण चालू खरीफ सीजन के दौरान तिलहनों के उत्पादन में गिरावट आएगी।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के कार्यकारी निदेशक के अनुसार सरकार ने पिछले साल सोयाबीन का उत्पादन 149 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया था जो उद्योग-व्यापार क्षेत्र के अनुमान 115-120 लाख टन से काफी अधिक था।
यदि 149 लाख टन का उत्पादन हुआ होता तो इस वर्ष इसका भारी-भरकम बकाया अधिशेष स्टॉक बचना चाहिए था। सोयाबीन का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के लगभग बराबर ही रहा और इस बार सरकार ने फसल उत्पादन के अनुमान को काफी हद तक दुरुस्त कर लिया है।
दरअसल पिछले सीजन का उत्पादन अनुमान काफी ऊंचा था इसलिए चालू खरीफ सीजन के लिए इसमें करीब 17 प्रतिशत की कटौती करनी पड़ी।
इसी तरह सरकार ने खरीफ कालीन मूंगफली का उत्पादन 2022-23 के 85.60 लाख टन से 8.5 प्रतिशत घटकर 2023-24 के सीजन में 78.30 लाख टन पर सिमट जाने का अनुमान लगाया है जबकि उद्योग-व्यापार क्षेत्र का मानना है कि वास्तविक उत्पादन इससे काफी कम होगा।
'सी' के कार्यकारी निदेशक के अनुसार यद्यपि राष्ट्रीय स्तर पर तथा सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य- गुजरात में पिछले साल के मुकाबले इस बार मूंगफली का क्षेत्रफल घट गया मगर फसल की उत्पादकता दर काफी बेहतर देखी जा रही है।
किसानों ने ज्यादा बारिश के समय जल का संरक्षण किया और शुष्क मौसम में फसल की सिंचाई करने में उसका उपयोग किया इसलिए मूंगफली की फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। मूंगफली का उत्पादन उद्योग-व्यापार समीक्षकों द्वारा वर्ष के लिए लगाए गए अनुमान के आसपास ही होने की उम्मीद है।
सोयाबीन एवं मूंगफली खरीफ सीजन की दो मुख्य तिलहन फसल है। इसके अलावा खरीफ सीजन में सूरजमुखी एवं तिल आदि की भी खेती होती है जबकि अखाद्य तिलहन फसलों में अरंडी का उत्पादन इसी सीजन में होता है। लगभग सभी संगठनों एवं समीक्षकों ने इस बार गुजरात में मूंगफली का उत्पादन गत वर्ष से बेहतर होने का अनुमान लगाया है।