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दक्षिण भारत में वर्षा का भारी अभाव-फसलों की हालत बिगड़ने के संकेत

प्रकाशित 01/11/2023, 09:50 pm
दक्षिण भारत में वर्षा का भारी अभाव-फसलों की हालत बिगड़ने के संकेत

iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का कहना है कि दक्षिणी भारत में इस बार अक्टूबर का महीना पिछले 123 वर्षों में छठा सबसे शुष्क महीना रहा। वहां केरल, माही, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक, तमिलनाडु, कराईकल, पांडीचेरी, तटीय आंध्र प्रदेश, यानम एवं रॉयलसीमा क्षेत्र में सामान्य औसत के मुकाबले करीब 60 प्रतिशत कम बारिश हुई।

दिलचस्प तथ्य यह है कि दक्षिणी प्रायद्वीप में अक्टूबर माह के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी एवं उत्तर पूर्व मानसून के आगमन- दोनों की वजह से अच्छी बारिश होने की परिपाटी रही है लेकिन इस वर्ष वहां वर्षा का भारी अभाव रहा और अक्टूबर में करीब 25 दिनों तक वहां मौसम पूरी तरह शुष्क बना रहा।

चूंकि दक्षिणी राज्यों में खरीफ फसलों की बिजाई लेट से होती है इसलिए अक्टूबर का मौसम उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पहले वहां मानसून की वर्षा सितम्बर-अक्टूबर में काफी अच्छी होती रही लेकिन इस बार बारिश की भारी कमी रही।

इससे पूर्व अगस्त माह के दौरान भी मौसम काफी गर्म एवं शुष्क रहा था। आई एम डी के अनुसार इस बार उत्तर-पूर्व मानसून के आगमन में कुछ बाधा पड़ रही है जिसके लिए अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न  घटना क्रम को जिम्मेदार माना जा रहा है।

आमतौर पर वहां 21 अक्टूबर से उत्तरपूर्व -पूर्व मानसून सक्रिय हो जाता है लेकिन इस बार दो समुद्री चक्रवाती तूफानों ने मानसून का रास्ता रोक दिया। 

कर्नाटक एवं तमिलनाडु में बांधों-जलाशयों में पानी का स्तर काफी घट गया है। इसी तरह आंध्र प्रदेश एवं केरल में भयंकर सूखे का माहौल बना हुआ है। रायलसीमा क्षेत्र में पानी नहीं बरसने से दलहन-तिलहन फसलों को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

धान की फसल कई क्षेत्रों में सूखने लगी है। कपास एवं गन्ना की फसल को तत्काल भारी बारिश की आवश्यकता है। शीघ्र वर्षा नहीं होने पर खरीफ उत्पादन काफी कमजोर रह सकता है।

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