iGrain India - नई दिल्ली । भारत में 2023-24 के खरीफ सीजन की दलहन फसलें परिपक्व होकर कटाई-तैयारी के चरण में पहुंच गई हैं। अरहर (तुवर) की नई फसल आने में अभी कुछ देर है लेकिन उड़द एवं मूंग की आवक हो चुकी है।
खरीफ सीजन में कुछ अन्य दलहनों का भी उत्पादन होता है। केन्द्र सरकार ने चालू खरीफ सीजन के लिए 91 लाख टन दलहनों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है जबकि वास्तविक उत्पादन इससे काफी कम होने की संभावना है। एक अग्रणी समीक्षक के अनुसार खरीफ कालीन दलहनों का वास्तविक उत्पादन 76 से 80 लाख टन के बीच हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2023-24 के खरीफ सीजन हेतु 43 लाख टन अरहर (तुवर), 20-20 लाख टन उड़द एवं मूंग तथा 8 लाख टन अन्य दलहनों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।
विश्लेषक के अनुसार अरहर का उत्पादन 36-37 लाख टन, उड़द का 16-17 लाख टन, मूंग का 17-18 लाख टन एवं अन्य दलहनों का उत्पादन 7-8 लाख टन के करीब हो सकता है।
दिलचस्प बात यह है कि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने जो पहला अग्रिम अनुमान जारी किया है उसमें सभी दलहनों का उत्पादन आंकड़ा इस विश्लेषक के आंकड़े से छोटा है।
इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि आगामी समय में देश के अंदर दाल-दलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल बनी रहेगी और कीमतों में मजबूती का रुख बरकरार रह सकता है।
पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष खरीफ कालीन दलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र में 5 लाख हेक्टेयर से अधिक की गिरावट आ गई जबकि दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश भी 6 प्रतिशत कम हुई।
बारिश का वितरण असमान रहा जिससे कई महत्वपूर्ण उत्पादक इलाकों में दलहन फसलों को नुकसान हुआ। असंतोषजनक वर्षा के साथ अत्यन्त ऊंचे तापमान की वजह से दलहनों की उपज दर में काफी गिरावट आने की आशंका है।
लगातार तीसरे साल भारत में खरीफ कालीन दलहन फसलों का उत्पादन नियत लक्ष्य से कम होने की संभावना है। वर्ष 2022 में अक्टूबर-नवम्बर के दौरान हुई बेमौसमी वर्षा ने खरीफ दलहन फसलों को नुकसान पहुंचाया था। इसमें तुवर की फसल मुख्य रूप से शामिल थी।
घरेलू प्रभाग में दाल-दलहन की आपूर्ति की स्थिति पहले से ही जटिल बनी हुई है जबकि आगामी महीनों में इसकी जटिलता और बढ़ सकती है। अधिकांश दलहनों का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है जिससे किसानों को आकर्षक आमदनी प्राप्त हो रही है।