iGrain India - कोल्हापुर । गन्ना की कमजोर पैदावार, सूखे जैसी स्थिति, पशु चारे के लिए गन्ना के बढ़ाए जा रहे उपयोग एवं उचित तथा लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के लम्बित बकाए के भुगतान के लिए किसानों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन सहित कुछ अन्य कारणों से महाराष्ट्र में चालू मार्केटिंग सीजन के दौरान गन्ना की क्रशिंग बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने महाराष्ट्र की करीब दो दर्जन सहकारी चीनी मिलों को बंद करने का निर्देश दिया है। हालांकि राज्य में आज पानी 1 नवम्बर 2023 से गन्ना की क्रशिंग एवं चीनी के उत्पादन का नया मार्केटिंग सीजन औपचारिक तौर पर आरंभ हो गया मगर इस बार मिलों में ज्यादा उत्साह नहीं देखा जा रहा है।
वैसे भी महाराष्ट्र सरकार ने किसानों को राज्य के बाहर भी अपने गन्ने की बिक्री करने की अनुमति दे दी है जिससे स्थानीय मिलों की चिंता बढ़ गई है।
इस्मा की एक रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में 2023-24 सीजन के दौरान चीनी का उत्पादन घटकर 88.58 लाख टन पर सिमट जाने की संभावना है जो 2022-23 सीजन के उत्पादन 105 लाख टन एवं 2021-22 सीजन के उत्पादन 137 लाख टन से काफी कम है।
पिछले साल के मुकाबले इस बार महाराष्ट्र में गन्ना का बिजाई क्षेत्र 6 प्रतिशत घटकर 14.07 लाख हेक्टेयर रह गया जबकि कई महत्वपूर्ण उत्पादक इलाकों में बारिश का भारी अभाव होने से गन्ना की औसत उपज दर एवं गन्ना से चीनी की औसत रिकवरी दर में भी गिरावट आने की आशंका है।
चीनी मिलों ने राज्य सरकार से गन्ना की क्रशिंग का सीजन जल्दी शुरू करने का आग्रह किया था ताकि चारे के तौर पर इसके इस्तेमाल को रोका जा सके लेकिन सरकार का कहना था कि वर्षा की कमी से गन्ना की फसल का ठीक से विकास नहीं हो पाया और इसे मैच्योर होने में समय लगेगा।
हालांकि महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि गन्ना क्रशिंग का सीजन नवम्बर से जनवरी के तीन महीनों तक जारी रहेगा लेकिन मिलर्स गन्ना की समुचित आपूर्ति के प्रति आश्वस्त नहीं हैं। दक्षिण महाराष्ट्र के अनेक किसान गुड़-खांडसारी निर्माण में अपने जानने का उपयोग कर रहे हैं।