iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का सर्वाधिक योगदान देने वाले राज्य पंजाब में धान की लगभग 60 प्रतिशत फसल की कटाई हो चुकी है और इसके साथ ही गेहूं की बिजाई भी आरंभ हो गई है।
लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों ने किसानों को उच्चतम उत्पादकता प्राप्त करने हेतु गेहूं की उपयुक्त किस्म का चुनाव करते हुए 15 नवम्बर तक पूरी कर लेने का सुझाव दिया है।
पंजाब में इस अवधि को गेहूं की खेती के लिए आदर्श समय माना जाता है। कम समय बचने से किसान धान की कटाई और जोर शोर से कर रहे हैं ताकि सही समय पर गेहूं की बोआई सुनिश्चित की जा सके।
चालू सीजन के दौरान पंजाब में 190 लाख टन से अधिक धान की खरीद होने की उम्मीद है। नवम्बर तक राज्य की मंडियों में करीब 105 लाख टन धान की आवक हो चुकी थी।
तरन तारण जिले में धान की फसल कटने के बाद खाली हुए खेतों में गेहूं की बिजाई हो रही है। खेतों की मिटटी में नमी का पर्याप्त अंश मौजूद होने से किसानों को गेहूं की बिजाई में कठिनाई नहीं हो रही है।
जालंधर जिले में भी गेहूं की बिजाई आरंभ हो चुकी है जबकि वहां धान की कटाई समाप्त नहीं हुई है। वहां किसान धान की पराली को खेतों में जलाने के बजाए उसे सुपर सीडर की सहायता से मैनेज कर रहे हैं और डेयरी फर्मों को उसकी बिक्री करके अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।
पंजाब कृषि विश्व विद्यालय ने किसानों को गेहूं की उपयुक्त प्रजाति की बिजाई करने का सुझाव दिया है ताकि उसकी लाभप्रदता एवं उपज दर बेहतर रह सके।
गेहूं की फसल को निचले स्तर के तापमान की आवश्यक पड़ती है और आरंभिक चरण में आद्रता भी कम होना आवश्यक है। अब दिन-रात के तापमान में कमी आने लगी है।
नवम्बर का शुरूआती 15 दिन गेहूं की बिजाई के लिए सर्वोत्तम समय होता है और इसके बाद बिजाई होने पर गेहूं की औसत दर में प्रत्येक सप्ताह 1.50 क्विंटल प्रति एकड़ तक से गिरावट का खतरा बना रखा है।