iGrain India - नई दिल्ली । पहले अगस्त में मौसम शुष्क एवं गर्म रहने और फिर अक्टूबर में वर्षा का भारी अभाव होने से देश के अनेक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक प्रांतों में खेतों की मिटटी में नमी घट कर सामान्य स्तर से नीचे आ गई है।
इससे वहां रबी फसलों की बिजाई प्रभावित होने की आशंका है। हालांकि जाड़े के दिनों में तापमान नीचे रहने से नमी सूखने की तीव्रता घट जाती है लेकिन उससे पूर्व ही नमी का भारी अभाव बन गया है।
उपग्रह से प्राप्त चित्र से पता चलता है कि देश के आधे से अधिक भाग में नमी का अंश सामान्य स्तर से नीचे या कम है। कुछ क्षेत्रों में खेतों की मिटटी में दरार पड़ने की सूचना भी मिल रही है। वहां भारी वर्षा की सख्त आवश्यकता है।
प्राप्त सूचना के अनुसार राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्यों के अधिकांश भाग में नमी का अंश काफी कम है इसलिए वहां किसानों को रबी फसलों की खेती करने में कठिनाई हो सकती है।
ध्यान देने की बात है कि इन राज्यों में गेहूं, चना, जौ, सरसों, मसूर, मटर, उड़द, मूंग, मक्का तथा ज्वार के साथ-साथ जीरा, धनिया, हल्दी एवं लालमिर्च जैसी मसाला फसलों की खेती भी बड़े पैमाने पर होती है।
हल्दी एवं लालमिर्च की बिजाई तो पूरी हो चुकी है मगर अन्य फसलों की बिजाई अभी आरंभिक चरण में हैं। नवम्बर-दिसम्बर के दौरान रबी फसलों की जोरदार बिजाई होती है। देश के कुछ पूर्वी एवं पूर्वोत्तर राज्यों में भी कहीं-कहीं नमी का भारी अभाव है।
दक्षिणी एवं पश्चिमी भारत में लम्बे समय से अच्छी वर्षा नहीं होने के कारण खेत एवं नदी-नाले सूख गए हैं और बांधों-जलाशयों में भी पानी का स्तर घटकर काफी नीचे आ गया है। इससे रबी फसलों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाएगा।
कुल मिलाकर रबी फसलों की बिजाई के लिए स्थिति अभी अनुकूल नहीं है और कई इलाकों में तत्काल भारी वर्षा की सख्त आवश्यकता है। मौसम विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में कम से कम पांच दर्जन जिलों में अक्टूबर के दौरान बारिश बिलकुल नहीं हुई।