iGrain India - नई दिल्ली । ब्रिटानिया (NS:BRIT) इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा आगामी महीनों में अपने उत्पादों के दाम में कुछ कटौती की जा सकती है ताकि उसकी बिक्री में इजाफा हो सके।
कम्पनी का कहना है कि यदि पाम तेल, गेहूं एवं चीनी सहित कुछ अन्य महत्वपूर्ण कच्चे माल (इनपुट) का भाव घटता है या अनुकूल रहता है तो तैयार उत्पादों के दाम में कटौती करने पर विचार किया जा सकता है।
कम्पनी के वाइस चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना है कि उपभोक्ता की मांग में वृद्धि पर कीमतों में कटौती निर्भर करेगी और खासकर ग्रामीण इलाकों में उत्पादों की मांग एवं खपत बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
मैनेजिंग डायरेक्टर के अनुसार ब्रिटानिया कम्पनी अपने उत्पादों के कुछ महत्वपूर्ण ब्रांडों के दाम में पहले ही कटौती कर चुकी है। जुलाई-सितम्बर की तिमाही में ऐसा हो चुका है ताकि इसकी बिक्री एवं बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने में सहायता मिल सके।
स्थानीय स्तर की फर्मों से चुनौती बढ़ रही है। कीमतों में कटौती के बावजूद समीक्षाधीन तिमाही के दौरान उत्पादों की बिक्री में स्थिरता देखी गई।
जब मैनेजिंग डायरेक्टर से पुछा गया कि क्या उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए कीमतों में कटौती के जरिए कम्पनी अपने मार्जिन के घटाने के लिए तैयार होगी तब उन्होंने कहा कि कम्पनी का प्राइमरी एजेंडा अपने शीर्ष ब्रांड वाले उत्पादों की बिक्री को तेजी से बढ़ाने का है।
कीमतों में कटौती से यदि बिक्री में जोरदार इजाफा हो सकता है तो इस पर विचार किया जा सकता है। लेकिन पहले मांग में बढ़ोत्तरी होना आवश्यक है और उसकी गति को बरकरार रखने के लिए कीमतों में कटौती की जा सकती है अन्यथा इसे पैसों की बर्बादी ही माना जाएगा।
आर्थिक मंदी और मांग में कमी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। ग्रामीण इलाकों में इस बार स्थिति बहुत उत्साहवर्धक नहीं है। ब्रिटानिया की बाजार भागीदारी अब तक शहरी क्षेत्रों पर ज्यादा केन्द्रित रही है जो ग्रामीण इलाकों में बाजार हिस्सेदारी से करीब 1.3 गुणा ज्यादा है।
मैनेजिंग डायरेक्टर ने आगाह किया कि पश्चिम एशिया तथा यूक्रेन में जो विवाद (युद्ध) चल रहा है उससे कॉमोडिटी की कीमतों पर कुछ अनिश्चितता उत्पन्न हो गई है और वैश्विक अर्थ व्यवस्था का माहौल प्रभावित होने की आशंका है।
ब्रिटानिया कम्पनी इन घटनाओं पर गहरी नजर रखेगी और खाद्य उत्पादों की कीमतों पर पड़ने वाले असर का आंकलन करेगी। यदि कॉमोडिटी की कीमतों में वृद्धि होती है तो कम्पनी लागत खर्च पर ज्यादा ध्यान रखेगी।