iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय जल आयोग की साप्ताहिक बुलेटिन से पता चलता है कि भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में पानी का स्तर चालू सप्ताह के दौरान और भी घटकर उसकी पूरी क्षमता के मुकाबले 71 प्रतिशत रह गया।
मौसम विभाग के मुताबिक देश के 60 प्रतिशत से अधिक जिलों में अक्टूबर माह के दौरान वर्षा नहीं या नगण्य हुई। जल आयोग के अनुसार इन 150 जलाशयों में 178.784 बीसीएम पानी के भंडारण की कुल क्षमता है जबकि वहां पानी का वास्तविक भंडार घटकर 126.120 बीसीएम या 71 प्रतिशत रह गया है पिछले सप्ताह उसमें 127.591 बीसीएम पानी का भंडार मौजूद था।
पानी का मौजूदा भंडार गत वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 8 प्रतिशत बिंदु तथा 10 वर्षीय औसत स्तर की तुलना में 20 प्रतिशत बिंदु नीचे है। केवल मध्यवर्ती संभाग को छोड़कर देश के अन्य सभी संभागों में चालू सप्ताह के दौरान जल स्तर में कमी आई है।
दक्षिण भारत में स्थिति ज्यादा खराब है। वहां पानी का स्तर घटकर 45 प्रतिशत से भी नीचे आ गया है। जलाशयों में पानी का कुल भंडार 23.732 बीसीएम बचा है जो उसकी कुल भंडार क्षमता 53.334 बीसीएम का महज 44 प्रतिशत है। तमिलनाडु में हालत कुछ सुधरी है मगर केरल, कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश में बिगड़ गई है। तेलंगाना में स्थिति बेहतर है।
अच्छी खबर यह है कि मौसम विभाग ने उत्तर-पूर्व मानसून की गतिशीलता बढ़ने का अनुमान लगाया है और यह एक सप्ताह तक जारी रह सकती है। इसके फलस्वरूप दक्षिणी राज्यों में बारिश होने तथा जलाशयों में पानी का भंडार बढ़ने की उम्मीद है।
लेकिन पूर्वी भारत में जल भंडारण की हालत बहुत खराब बताई जा रही है। गत सप्ताह वहां क्षमता के सापेक्ष 76 प्रतिशत पानी का भंडार था जो चालू सप्ताह में 73.82 प्रतिशत रह गया। वैसे यह पिछले साल के स्तर से कुछ ऊंचा है।
वहां उड़ीसा, बंगाल एवं त्रिपुरा में जल स्तर घटा है मगर आसाम में कुछ ऊपर है। देश के मध्यवर्ती भाग में 82.18 प्रतिशत या 39.632 बीसीएम पानी का भंडार मौजूद है।
मध्य प्रदेश में जल स्तर 6 प्रतिशत ऊपर हुआ है मगर उत्तर प्रदेश में 32 प्रतिशत, उत्तराखंड में 10 प्रतिशत एवं छत्तीसग़ढ में 14 प्रतिशत नीचे आ गया है। उधर महाराष्ट्र एवं गुजरात में जल स्तर में बदलाव हुआ है।