iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । हालांकि सितम्बर में दक्षिण-पश्चिम मानसून के प्रस्थान करने के बाद अक्टूबर में उत्तर-पूर्व मानसून का आगमन हो जाता है लेकिन इस बार दो समुद्री चक्रवाती तूफानों की वजह से इसे सक्रिय होने का अवसर नहीं मिल सका।
मौसम विभाग ने 1 नवम्बर से इसकी सक्रियता बढ़ने की भविष्यवाणी की थी जो सच साबित हुई। नवम्बर के आरंभ से इस मानसून को नई गतिशीलता हासिल हुई।
बंगाल की खाड़ी से पूर्वी एवं उत्तर पूर्व दिशा की ओर बढ़ने वाली तेज हवा के प्रभाव से यह मानसून देश के दक्षिण-पूर्वी प्राद्वीपीय भाग में सक्रिय हो गया है।
वहां तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश में इसकी सक्रियता बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी-पश्चिमी और उससे सटे मध्य पश्चिमी भाग के ऊपर समुद्र तट से कुछ दूर कम दाब का एक नया ट्रफ बन रहा है जिससे उत्तर-पूर्व मानसून को और अधिक मजबूती मिलने की उम्मीद है। मौसम विभाग के अनुसार उत्तर-पूर्व मानसून के निर्बाध प्रदर्शन के लिए स्थिति अभी बिल्कुल अनुकूल है।
मौसम विभाग ने अगले सात दिनों तक अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में दूर-दूर तक बारिश होने की संभावना व्यक्त की है जबकि लगभग एक सीधी रेखा पर चलते हुए यह मानसून कई अन्य क्षेत्रों में बरस सकता है।
इसमें तटीय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, रॉयल सीमा, पांडीचेरी, कर्नाटक, केरल एवं लक्ष्यद्वीप भी शामिल है। इन प्रांतों / क्षेत्रों में पानी का अभाव होने से वर्षा की सख्त आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
मौसम विभाग के मुताबिक समीक्षाधीन अवधि के दौरान बंगाल की खाड़ी के ऊपर पूर्वी तरंग, ट्रफ, साइक्लोनिक, सर्कुलेशन एवं अन्य वातावरणीय क्रियाएं चलती रहेंगी जिससे मानसून मजबूत एवं सघन रहेगा।
दक्षिणी प्रायद्वीप में इससे दूर-दूर तक अच्छी वर्षा होती रहेगी जबकि तमिलनाडु, केरल, माही, पांडीचेरी एवं कराईकल में कहीं-कहीं भारी बारिश होने की संभावना है। इसी तरह दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक में जोरदार बारिश होने के आसार हैं। कुछ क्षेत्रों में वर्षा की शुरुआत हो चुकी है।