iGrain India - लुधियाना । केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का सर्वाधिक योगदान देने वाले प्रान्त पंजाब में खरीफ एवं रबी फसलों की अगैती खेती होती है। फिलहाल वहां धान की जोरदार कटाई-तैयारी हो रही है और गेहूं की बिजाई भी आरंभ हो चुकी है।
लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) का कहना है कि राज्य में गेहूं की बिजाई के लिए 1 से 15 नवम्बर तक आदर्श समय रहता है इसलिए किसानों को इस अवधि में बिजाई की प्रक्रिया पूरी कर लेनी चाहिए।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस समयावधि के बाद होने वाली बिजाई के तहत प्रत्येक सप्ताह गेहूं की औसत उपज दर में 1.50 क्विंटल प्रति एकड़ की गिरावट की आशंका रहती है।
पंजाब के किसानों के साथ समस्या यह है कि इस बार वहां धान की कटाई में देर हो रही है और किसानों को इसकी बिक्री के लिए सरकारी क्रय केन्द्रों का चक्कर भी लगाना पड़ रहा है।
वैसे अच्छी बात यह है कि राज्य के अधिकांश भाग में खेतों की मिटटी में नमी का पर्याप्त अंश मौजूद है इसलिए गेहूं की बिजाई में कोई खास कठिनाई नहीं हो रही है।
कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को सुझाव दिया है कि वे केवल ऊंची उपज दर वाली उन्नत प्रजाति के गेहूं की बिजाई करे ताकि बाद में मौसम की हालत प्रतिकूल होने पर भी फसल को ज्यादा क्षति न हो।
उल्लेखनीय है कि पंजाब में पिछले दो सीजन के दौरान फरवरी-मार्च तथा अप्रैल में मौसम खराब रहा जिससे गेहूं की फसल को नुकसान हुआ और खासकर दाने की क्वालिटी बुरी तरह प्रभावित हुई।
वैसे 2021-22 की तुलना में 2022-23 के रबी सीजन के दौरान वहां फसल की हालत बेहतर रही जिससे गेहूं की सरकारी खरीद में इजाफा हुआ। लेकिन यह खरीद 2020-21 सीजन के रिकॉर्ड स्तर पर काफी कम रही। सरकार को उम्मीद है कि 2023-24 के रबी सीजन में पंजाब में गेहूं का उत्पादन और भी बेहतर होगा। लेकिन अल नीनो मौसम चक्र की आशंका अभी खत्म नहीं हुई है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2 नवम्बर तक पंजाब में धान की 60 प्रतिशत से अधिक फसल की कटाई पूरी हो चुकी थी और उससे ख़ाली हुए खेतों में गेहूं की बिजाई भी जोर पकड़ने लगी थी।
अभी बिजाई का आदर्श समय समाप्त होने में 10 दिन से अधिक का वक्त बाक़ी है। 15 नवम्बर तक होने वाली बिजाई के तहत गेहूं की औसत उपज दर उच्चतम स्तर पर पहुंचने की उम्मीद रहती है।