iGrain India - नई दिल्ली । रबी सीजन की सबसे प्रमुख तिलहन फसल-सरसों की बिजाई प्रक्रिया आरंभ हो गई है और आगामी दिनों में इसकी रफ्तार बढ़ने की संभावना है।
इस बार गेहूं एवं चना की तुलना में सरसों से किसानों को कम आमदनी प्राप्त हुई इसलिए इसके क्षेत्रफल में यदि कुछ गिरावट आ जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी।
सीजन के अधिकांश दिनों में सरसों का थोक मंडी भाव सरकारी समर्थन मूल्य से नीचे रहा। इसके फलस्वरूप नैफेड तथा हैफेड जैसी एजेंसियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से 14 लाख टन सरसों खरीदने के लिए विवश होना पड़ा।
नैफेड ने 11.25 लाख टन एवं हैफेड ने 2.75 लाख टन सरसों की खरीद की। सरसों समर्थन मूल्य 5450 रुपए प्रति क्विंटल था जिसे अब 200 रुपए बढ़ा दिया गया है।
दरअसल विदेशों से विशाल मात्रा में सस्ते खाद्य तेलों का आयात होने से घरेलू बाजार में स्वदेशी सरसों तेल एवं सोयाबीन तेल की कीमतों पर दबाव बना रहा।
त्यौहारी मांग के बावजूद सरसों सीड एवं तेल के दाम में जोरदार बढ़ोत्तरी नहीं देखी जा रही है बल्कि यह एक निश्चित सीमा में स्थिर हो गया लगता है। बिजाई की रफ्तार के साथ सरसों के दाम में सीमित उतार-चढ़ाव आने की संभावना है।
2022-23 सीजन के दौरान सरसों का बिजाई क्षेत्र शीर्ष स्तर पर पहुंचा था और प्राकृतिक आपदाओं से फसल को हुए नुकसान के बावजूद इसका उत्पादन बेहतर रहा। इसके फलस्वरूप ऑफ या लीन सीजन में भी इसकी अच्छी आपूर्ति हो रही है।
राष्ट्रीय स्तर पर सरसों की औसत दैनिक आवक 4.50-5.00 लाख बोरी (50 किलो की प्रत्येक बोरी) हो रही है जिससे क्रशिंग-प्रोसेसिंग इकाइयों को पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल हासिल हो रहा है। देश में अभी सरसों का अच्छा स्टॉक मौजूद है इसलिए कीमतों में भारी तेजी-मंदी की संभावना नहीं है।