iGrain India - कोच्चि । हालांकि दक्षिण भारत में मानसून की बारिश कम होने से कालीमिर्च की फसल भी प्रभावित हुई जिससे इसका उत्पादन कुछ घटने की संभावना है लेकिन वर्तमान समय में इसकी व्यापारिक गतिविधियां सुस्त होने से कीमतों में सीमित उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार अगले महीने से केरल में कालीमिर्च के नए माल की आवक शुरू हो सकती है और तब नीलामी केन्द्रों में चहल-पहल बढ़ेगी। यदि श्रीलंका सहित अन्य देशों से क़ानूनी एवं गैर कानूनी तरीक़े से विशाल आयात नहीं हुआ तो कालीमिर्च का घरेलू बाजार भाव सुधर सकता है।
उल्लेखनीय है कि देश के दोनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- कर्नाटक एवं केरल में इस वर्ष बारिश का अभाव होने से कालीमिर्च की फसल को काफी नुकसान हुआ है। उद्योग- व्यापार समीक्षकों के अनुसार इस महत्वपूर्ण मसाले के उत्पादन में 20-25 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है जिससे न केवल निर्यात के लिए नगण्य स्टॉक बचेगा बल्कि घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने में कठिनाई हो सकती है।
अक्सर मूल्य संवर्धन एवं पुनर्निर्यात उद्देश्य के लिए भारत में श्रीलंका, वियतनाम, ब्राजील तथा इंडोनेशिया जैसे देशों से भारी मात्रा में कालीमिर्च का आयात किया जाता है जिसका कुछ भाग घरेलू बाजार में भी पहुंचता है।
यदि उत्पादन में गिरावट के पुख्ता संकेत मिलते हैं तो तस्करी के जरिए भी कालीमिर्च की आवक बढ़ सकती है। ज्ञात हो कि सरकार ने कालीमिर्च का न्यूनतम आयात मूल्य 500 रुपए प्रति किलो निर्धारित कर रखा है। लेकिन तस्करी वाले माल पर यह शर्त नजर अंदाज कर दी जाती है।
कोच्चि के टर्मिनल मार्केट में कालीमिर्च की नगण्य आवक होने से कारोबार बहुत कम हो रहा है। इसकी दिसावरी मांग भी कमजोर है। खरीदार अगली नई फसल के आने का इंतजार कर रहे हैं। इसकी आवक शुरू होने पर कारोबार बढ़ने की उम्मीद है। कालीमिर्च का निर्यात प्रदर्शन भी उत्साहवर्धक नहीं बताया जा रहा है।