iGrain India - मुम्बई । अफ्रीकी देश मोजाम्बिक से भारत में अरहर (तुवर) के आयात में काफी देर हो रही है जिससे घरेलू बाजार में इस महत्वपूर्ण दलहन का भाव तेज होने के संकेत मिल रहे हैं।
त्यौहारी सीजन के दौरान इसके दाम में करीब 10 प्रतिशत का इजाफा हो गया। राजनयिक स्तर पर आश्वासन मिलने के बावजूद तनाव बरकरार है क्योंकि मोजाम्बिक से शिपमेंट में हो रही अनावश्यक देरी को भारत की खद्य सुरक्षा का बेजा लाभ उठाने के तौर पर देखा जा रहा है।
इस मामले का जल्दी से जल्दी निस्तारण होना आवश्यक है। समझा जाता है कि कम से कम 150 लाख टन तुवर का स्टॉक मोजाम्बिक के बंदरगाहों पर भारत को निर्यात शिपमेंट की प्रतीक्षा में लम्बे समय से पड़ा हुआ है लेकिन इसकी स्वीकृति नहीं दी जा रही है।
इससे घरेलू बाजार में तुवर का अभाव महसूस होने लगा है और पिछले दो महीनों के दौरान इसकी कीमतों में करीब 10 प्रतिशत की तेजी आ गई। त्यौहारी सीजन में अक्सर इसकी मांग एवं खपत बढ़ जाती है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार सभी आवश्यक निर्यात दस्तावेज मौजूद होने के वावजूद मोजाम्बिक के कस्टम कार्यालय द्वारा निर्यात शिपमेंट की अनुमति नहीं दी जा रही है और न ही कोई स्पष्ट कारण बताया जा रहा है।
इससे विक्रेताओं को भारी- भरकम भंडारण एवं बार-बार धुआंकरण खर्च का भार उठाना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि मोजाम्बिक के कृषि मंत्रालय ने कस्टम प्रक्रिया में वस्तुओं के लिए फ़ायटोसैनिटरी सर्टिफिकेट्स को कैंसिल कर दिया है।
यह निर्णय तब लिया गया जब उसमें से अनेक प्रमाण पत्र को जाली या बोगस पाया गया। इससे तुवर के निर्यात का प्रवाह प्रभावित होने लगा। हालांकि कृषि मंत्रालय ने लाइसेंस देने की प्रक्रिया दोबारा बहाल कर दी है लेकिन फिर भी शिपमेंट में देर हो रही है।
इधर भारत में बिजाई क्षेत्र घटने एवं प्रमुख उत्पादक राज्यों में बारिश कम होने से 2023-24 सीजन के दौरान तुवर के उत्पादन में गिरावट आने का अनुमान लगाया जा रहा है जिससे विदेशों से इसका आयात बढ़ाने की आवश्यकता पड़ेगी।
भारत में मार्च 2024 तक करीब 12 लाख टन तुवर के आयात की जरूरत पड़ने की संभावना है जो पिछले वित्त वर्ष से काफी अधिक है। इससे देश में आपूर्ति के अभाव का संकट बढ़ सकता है।
पिछले महीने भारत और मोजाम्बिक के बीच तुवर आयात में देरी के मुद्दे पर बातचीत हुई थी और भारत ने सभी बाधाओं को यथाशीघ्र दूर करने का मोजाम्बिक से आग्रह भी किया था लेकिन हालात में अभी तक कोई बदलाव नहीं आया है। भारत को तुवर आयात की सख्त आवश्यकता है।