iGrain India - रेगिना । एक अग्रणी विश्लेषक का कहना है कि कनाडा में मसूर की कीमतों में उतार-चढ़ाव काफी हद तक वैश्विक कारकों पर निर्भर करेगा। प्रत्येक किस्म की मसूर का दाम स्वतंत्र रूप से प्रभावित होगा।
भारत कनाडाई मसूर का परम्परागत रूप से प्रमुख खरीदार है जो खासकर लाल मसूर का आयात भारी मात्रा में करता है लेकिन हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच राजनयिक (डिप्लोमैटिक) स्तर पर तनाव बढ़ने से कुछ समस्याएं एवं चुनौतियां उत्पन्न हो गई हैं।
उधर ऑस्ट्रेलिया में मसूर का उत्पादन दूसरे सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचने के संकेत मिल रहे हैं। वहां मुख्यत: लाल मसूर का उत्पादन होता है और भारत इसकी खरीद में जबरदस्त दिलचस्पी दिखा रहा है।
वैश्विक बाजार में मसूर की पर्याप्त आपूर्ति होने की उम्मीद है। लेकिन यदि भारत में तुवर (अरहर) के उत्पादन में गिरावट का रुख बना रहा और इसकी कीमतों में तेजी-मजबूती जारी रही तथा वैश्विक स्तर पर मोटी हरी मसूर तथा छोटी हरी मसूर की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल रहे तो लाल मसूर का कारोबार बेहतर ढंग से होने लगेगा।
इससे ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ कनाडा को भी लाभ मिल सकता है। वर्तमान समय में लाल मसूर का बाजार स्थिर बना हुआ है और इसकी मांग तथा कीमत में कोई उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी नहीं देखी जा रही है।
कनाडा में फसल पहले ही आ चुकी है जबकि ऑस्ट्रेलिया में अभी आ रही है। भारत में अगले महीने से तुवर फसल की कटाई-तैयारी शुरू होगी जबकि मसूर की छिटपुट बिजाई शुरू हो चुकी है।
कनाडा में लाल मसूर का भाव 35-36 सेंट प्रति पौंड के बीच स्थिर बना हुआ है जबकि मोटी हरी मसूर का मूल्य 65 से 69 सेंट प्रति पौंड तथा छोटी हरी मसूर का दाम 62-64 सेंट प्रति पौंड पर पहुंच गया है। कनाडा में हरी मसूर का स्टॉक कम है।
वैसे इस बार लाल मसूर के उत्पादन में भी गिरावट आई है। कारोबार सीमित होने से प्रतीत होता है कि हरी मसूर के उपभोक्ता वैकल्पिक दालों की तरफ आकर्षित होने लगे हैं। कुछ आयातक देशों में मसूर की मांग कमजोर पड़ने के संकेत मिल रहे हैं।