iGrain India - नई दिल्ली । अनाजी जिंसों के साथ-साथ दाल-दलहनों की कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल चालू वित्त वर्ष के अंत तक बरकरार रहने की संभावना है।
हालांकि केन्द्र सरकार अपने बफर स्टॉक से दलहनों की बिक्री कर रही है और विदेशों से कुछ प्रमुख दलहनों का शुल्क मुक्त आयात भी हो रहा है लेकिन इसके बावजूद कीमतों में ज्यादा नरमी आने के संकेत नहीं मिल रहे हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अरहर (तुवर) का घरेलू उत्पादन कमजोर होने की संभावना है जबकि उड़द एवं मूंग की पैदावार भी उम्मीद के अनुरूप नहीं होगी। चना का अभाव होने से इसका दाम हाल के महीनों में तेज हुआ जिससे सरकार को अपने स्टॉक का चना घरेलू बाजार में उतारना पड़ रहा है। फिर भी इसका दाम सरकारी समर्थन मूल्य से काफी ऊंचे स्तर पर चल रहा है।
उपभोक्ता मामले विभाग के एक वरिष्ठ आधिकारिक का कहना है कि सरकार एक तरफ थोक बाजार में अपने अधिशेष स्टॉक के चने की नियमित बिक्री कर रही है जबकि दूसरी ओर 'भारत दाल' ब्राण्ड नाम से चना दाल भी उपलब्ध करवा रही है।
दाल-दलहन की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है लेकिन अभी तक इसका सार्थक परिणाम सामने नहीं आया है।
इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि घरेलू प्रभाग में मांग एवं खपत के मुकाबले दाल-दलहन की आपूर्ति एवं उपलब्धता कम है और उत्पादन में गिरावट आने की संभावना का बाजार पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ रहा है। मोजाम्बिक से तुवर का आयात अटकने से भी बाजार प्रभावित हो रहा है।
रबी कालीन दलहन फसलों और खासकर चना तथा मसूर की बिजाई धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगी है। मसूर की खेती में किसानों का उत्साह एवं आकर्षण ज्यादा देखा जा रहा है।
मार्च में या इसके बाद जब दूसरी नई फसल की कटाई-तैयारी तथा मंडियों में जोरदार आवक शुरू होगी तभी कीमतों में कुछ नरमी आने की उम्मीद की जा सकती है। मसूर का रकबा बढ़ रहा है।