iGrain India - मास्को । रूस के उत्पादक अपनी लाल मसूर के अधिकांश स्टॉक की बिक्री पहले ही कर चुके हैं और इसके बड़े भाग का वहां से निर्यात भी हो चुका है। रूबल पर आधारित 7 प्रतिशत के निर्यात शुल्क की वजह से रूस की मसूर का भाव कुछ हद तक गैर प्रतिस्पर्धी हो गया है।
रूस में वर्ष 2023 के दौरान करीब 40 हजार टन लाल मसूर का उत्पादन हुआ। वहां से इसका निर्यात जेबेल अली / एन एस तथा कराची बंदरगाहों तक पहुंच के लिए 700 डॉलर प्रति टन से कुछ ऊपर के मूल्य स्तर पर होने की सूचना मिल रही है।
कजाकिस्तान में मौसम की हालत अत्यन्त प्रतिकूल होने से औसत उपज दर में भारी गिरावट आने के कारण मसूर का उत्पादन घटकर लगभग आधा रह गया।
तुर्की के मेरसिन तथा भूमध्य सागर के बंदरगाहों तक पहुंच के लिए कजाकिस्तान की मसूर का निर्यात मूल्य फिलहाल 725-735 डॉलर प्रति टन चल रहा है। वहां निर्यात के लिए अत्यन्त सीमित स्टॉक मौजूद है।
रूस की हरी मसूर की खरीद में तुर्की तथा उत्तरी अफ्रीकी देशों - मोरक्को अल्जीरिया तथा मिस्र आदि की भारी सक्रियता देखी जा रही है क्योंकि रूसी हरी मसूर कनाडाई हरी मसूर की तुलना में काफी सस्ते दाम पर उपलब्ध है। भारत में भी इसका थोड़ा-बहुत आयात हो रहा है।
चेन्नई बंदरगाह तक पहुंच के लिए रूस के निर्यातक 1225 डॉलर प्रति टन का ऑफर दे रहे हैं जबकि भारतीय खरीदार 1200 डॉलर प्रति टन से भी नीचे के स्तर पर इसकी खरीद करना चाहते हैं।
कनाडा की हरी मसूर का भाव इससे काफी ऊंचा है। भारत के आयातक कनाडा से बड़ा अनुबंध करने के इच्छुक नहीं है क्योंकि उसके साथ भारत के राजनयिक सम्बन्ध खराब हो गए हैं। वैसे रूस की मसूर की क्वालिटी कुछ हल्की होती है और फ़ायटो सैनिटरी की समस्या भी उसके साथ रहती है।