iGrain India - हैदराबाद । प्रमुख आयातक देशों में मांग मजबूत होने से चालू सप्ताह के दौरान 5 प्रतिशत टूटे भारतीय गैर बासमती सेला चावल का निर्यात ऑफर मूल्य सुधरकर 493-503 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया जो पिछले सप्ताह 490-500 डॉलर प्रति टन पर था।
काकीनाडा (आंध्र प्रदेश) के एक निर्यातक का कहना है कि सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा हुआ है और इसका भुगतान करने के बावजूद भारतीय चावल अन्य निर्यातक देशों की तुलना में सस्ता बैठ रहा है इसलिए आयातक देशों में इसकी अच्छी मांग बनी हुई है।
कीमतों के प्रति संवेदनशील खरीदारों के पास भारतीय चावल की खरीद के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार ने गैर बासमती सेला चावल पर लगे 20 प्रतिशत के निर्यात शुल्क की समय सीमा 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दी है।
बांग्ला देश में बेहतर उत्पादन एवं ऊंचे स्टॉक के बावजूद चालू सप्ताह के दौरान चावल का भाव तेज हो गया जिससे भीषण महंगाई की मार से जूझ रहे आम लोगों की कठिनाई और भी बढ़ गई है। व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक चावल का बाजार अचानक अस्थिर हो गया और कीमतों में 2 से 5 टका प्रति किलो तक का भारी इजाफा हो गया।
उधर थाईलैंड में भी 5 प्रतिशत टूटे चावल का निर्यात ऑफर मूल्य पिछले सप्ताह के 562 डॉलर प्रति टन से बढ़कर चालू सप्ताह में 570-575 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया जबकि वियतनाम में इसी ग्रेड के चावल का निर्यात ऑफर मूल्य 650-655 डॉलर प्रति टन के उच्च स्तर पर बरकरार रहा।
समीक्षकों के अनुसार थाई चावल में एशियाई देशों की अच्छी मांग बनी हुई है जिसमें इंडोनेशिया, मलेशिया फिलीपींस एवं इराक जैसे देश शामिल हैं। इसके फलस्वरूप चावल के दाम में कुछ और तेजी आ सकती है। चावल निर्यातक संघ ने थाईलैंड से चावल के निर्यात का अनुमान 80 लाख टन से बढ़ाकर 85 लाख टन नियत कर दिया है।
वियतनाम के घरेलू प्रभाग में चावल की आपूर्ति काफी घट गई है जिससे उसका निर्यात मूल्य उछलकर काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। इससे वियतनामी चावल की खरीद में विदेशी आयातकों की दिलचस्पी समाप्त होती जा रही है। वहां से अफ्रीका, क्यूबा, इंडोनेशिया एवं फिलीपींस आदि को चावल का निर्यात शिपमेंट होता रहा है।