iGrain India - मुम्बई । भारत में चीनी के उत्पादन एवं उपयोग के बीच काफी जटिल संतुलन रहने की संभावना है जिससे कीमतों में ज्यादा नरमी का माहौल नहीं बन पाएगा।
उधर इंटरनेशनल शुगर ऑर्गेनाइजेशन (आईएसओ) ने चीनी के वैश्विक उत्पादन एवं उपयोग के बीच अंतर के अनुमान को कुछ घटा दिया है।
आईएसओ ने अगस्त की अपनी तिमाही रिपोर्ट में कहा था कि 2023-24 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान विश्व स्तर पर उपयोग की तुलना में चीनी का उत्पादन 21.10 लाख टन कम होगा मगर नवम्बर की रिपोर्ट से उसने इस कमी का अनुमान घटाकर महज 3.30 लाख टन निर्धारित किया है।
संगठन के अनुसार ब्राजील में उत्पादन की स्थिति बेहतर होने से इस अंतर में कटौती की गई है। आईएसओ की रिपोर्ट के अनुसार 2022-23 के मार्केटिंग सीजन में चीनी का वैश्विक उत्पादन बढ़कर 1798.90 लाख टन पर पहुंच गया जो 2021-22 सीजन के उत्पादन 1783.30 लाख टन से 0.87 प्रतिशत अधिक था।
इसी तरह चीनी की वैश्विक खपत भी 2021-22 सीजन के 1780.20 लाख टन से 1.24 प्रतिशत बढ़कर 2022-23 के सीजन में 1802.20 लाख टन पहुंचने का अनुमान लगाया गया है।
संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 के सीजन में 3.10 लाख टन चीनी का अधिशेष उत्पादन हुआ था जबकि 2022-23 के सीजन में उपयोग से 3.40 लाख टन कम चीनी का उत्पादन हुआ।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक भारत, थाइलैंड, यूरोपीय संघ एवं ऑस्ट्रेलिया आदि में मौसम की प्रतिकूल स्थिति को देखते हुए आईएसओ का यह आंकड़ा काफी हद तक चीनी के वैश्विक बाजार को संतुलित रखने में सहायक साबित हो सकता है।
एक विश्लेषक के अनुसार हाल के महीनों के दौरान चीनी के अंतर्राष्ट्रीय बाजार मूल्य में जो उबाल देखा गया वह आगामी महीनों में काफी हद तक शांत पड़ सकता है।
ज्ञात हो कि 9 नवम्बर को कच्ची चीनी (रॉ शुगर) का वायदा भाव आईसीई न्यूयार्क में उछलकर 28 सेंट प्रति पौंड से भी ऊपर पहुंच गया था जो पिछले 12 वर्षों का उच्चतम स्तर था। लेकिन आईएसओ की रिपोर्ट जारी होने के बाद चीनी का दाम फिसलकर 27.20 सेंट प्रति पौंड पर आ गया।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत इस बार चीनी के वैश्विक निर्यात बाजार से अनुपस्थित रहेगा जिससे ब्राजील के निर्यातकों को उसकी कठिन चुनौती का सामना नहीं करना पड़ेगा। ब्राजील दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक देश है। वहां इस बार उत्पादन बेहतर हुआ है।