iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) में कटौती किए जाने से भारतीय निर्यातक नए सीजन के माल का निर्यात अनुबंध करने में सक्रिय हो गए हैं और विदेशी खरीदारों ने भी इसकी खरीद में दिलचस्पी दिखाना शुरू कर दिया है।
जानकार सूत्रों के अनुसार अब तक करीब 5 लाख टन बासमती चावल के निर्यात का अनुबंध हो चुका है। यूरोप तथा मध्य पूर्व एशिया के बड़े-बड़े आयातकों के साथ ये अनुबंध हुए हैं।
ध्यान देने की बात है कि भारत से 40 लाख टन से अधिक बासमती चावल का वार्षिक निर्यात होता है। प्रीमियम क्वालिटी के इस लम्बे दाने वाले सुगन्धित चावल के प्रमुख आयातक देशों में ईरान, इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यमन एवं अमरीका आदि शामिल हैं। इसी तरह यूरोप भी इसका एक प्रमुख बाजार बना हुआ है।
सरकार ने जुलाई में सफेद (कच्चे) गैर बासमती चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद अगस्त में सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा दिया और फिर बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) नियत कर दिया।
इससे बासमती चावल का निर्यात अनुबंध ठप्प पड़ गया क्योंकि विदेशी आयातक इतने ऊंचे मूल्य स्तर पर इसकी खरीद करने के लिए तैयार नहीं थे। निर्यातकों ने विरोध भी जताया और कुछ दिनों तक किसानों से बासमती धान की खरीद बंद कर दी जिससे उसका मंडी भाव नीचे आ गया।
बासमती धान एवं चावल के नए माल की तेजी से बढ़ते स्टॉक को देखते हुए अंततः सरकार ने बासमती चावल के मेप को 1200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन नियत करने का निर्णय लिया और इसके साथ ही सर्वोत्तम क्वालिटी के इस चावल का निर्यात अनुबंध द्बारा शुरू हो गया। सितम्बर-अक्टूबर में भारतीय बासमती चावल का निर्यात प्रदर्शन काफी कमजोर रहा।
इंडियन राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन के अध्यक्ष का कहना है कि विदेशी आयातक नए भारतीय बासमती चावल की खरीद में जोरदार दिलचस्पी दिखा रहे हैं और अब वे करीब 5 लाख टन के आयात का अनुबंध कर चुके हैं।
आमतौर पर सितम्बर- अक्टूबर से इसका आर्डर मिलना शुरू हो जाता है लेकिन इस बार ऊंचे मेप के कारण इसमें देर हो गई। आगामी महीनों में बासमती चावल का निर्यात प्रदर्शन बेहतर होने के आसार हैं।