iGrain India - नई दिल्ली । अगले वर्ष जनवरी से मार्च के दौरान खरीफ एवं रबी कालीन मसालों के नए माल की जोरदार आवक शुरू होने की संभावना है जिसमें हल्दी, लालमिर्च, जीरा और धनिया के साथ-साथ कालीमिर्च भी शामिल है।
फसल की हालत एवं उत्पादक मंडियों में आवक के आधार पर इन मसालों के दाम में उतार-चाव आएगा लेकिन आमतौर पर जोरदार आपूर्ति के समय इसका भाव कुछ नरम पड़ने की धारणा है।
ज्ञात हो कि चालू वर्ष के दौरान खासकर जीरा का घरेलू बाजार भाव उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था लेकिन शीर्ष स्तर की तुलना में अब इसमें काफी गिरावट आ चुकी है।
वर्ल्ड स्पाइस आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएसओ) के चेयरमैन का कहना है कि जनवरी-मार्च 2024 की तिमाही में अधिकांश प्रमुख मसालों के नए माल की अच्छी आवक होने लगती है। इस बार उत्पादन भी बेहतर होने के आसार हैं जिससे कीमतों में स्थिरता का माहौल बन सकता है।
हैदराबाद में पिछले सप्ताहांत आयोजित नेशनल स्पाइसेज कांफ्रेंस 2023 में अनेक वक्ताओं ने इसी तरह की धारणा व्यक्त की। डब्ल्यूएसओ के चेयरमैन ने कहा कि पिछले साल भारत से करीब 4 अरब डॉलर मूल्य के मसालों का निर्यात हुआ था। देश को मसालों के मूल्य संवर्धन पर विशेष ध्यान देना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नए-नए बाजारों में प्रवेश करने का प्रयास करना चाहिए।
जीरा के बारे में चेयरमैन का कहना था कि इसका भाव पहले 250 रुपए प्रति किलो से उछलकर 640 रुपए प्रति किलो के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा और अब घटकर 450 रुपए प्रति किलो के आसपास आ गया है।
अगले वर्ष का भाव इस शीर्ष स्तर पर पहुंचना मुश्किल लगता है। उनका कहना था कि वर्तमान समय में भारत से मसालों के कुल निर्यात में मूल्य संवर्धित मसाला उत्पादों के निर्यात मूल्य की भागीदारी 50 प्रतिशत के करीब पहुंच गई है जिसमें मसाला एक्सट्रैक्शन, मसाला मिक्स एवं मसाला तेल तथा ओलियो रेसिन आदि शामिल है।
यदि वर्ष 2030 तक के लिए निर्धारित 10 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करना है तो इस भागीदारी को बढ़कर कम से कम 75 प्रतिशत तक पहुंचाना आवश्यक होगा। वर्ष 2025 तक भारत से मसालों का कुल निर्यात बढ़कर 5 अरब डॉलर पर पहुंच जाने की उम्मीद है।
चेयरमैन के मुताबिक मसालों की क्वालिटी में सुधार लाने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए लेकिन दिनों दिन घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गुणवत्ता मानकों को सख्त बनाया जा रहा है।
भारत में करीब 103 लाख टन मसालों का वार्षिक उत्पादन होता है जिसमें से 15 प्रतिशत का निर्यात और 85 प्रतिशत का घरेलू उपयोग किया जाता है।
भारत को पूर्व सोवियत गणराज्यों अफ्रीका तथा दक्षिण अमरीका में नए-नए बाजारों में सक्रियता बढ़ाने की जरूरत है तभी 10 अरब डॉलर के मसालों का निर्यात लक्ष्य हासिल करने में सफलता मिल सकती है।