iGrain India - हैदराबाद । वैश्विक बाजार में आपूर्ति एवं उपलब्धता की जटिल स्थिति को देखते हुए भारतीय गैर बासमती चावल के परम्परागत आयातक अब ब्राउन राइस और खासकर 'स्वर्ण' किस्म को चावल की भारी खरीद कर रहे हैं।
इस चावल के दाने छोटे होते हैं। वियतनाम ने भी इसे खरीदना शुरू कर दिया है। एग्री कल्चरल कॉमोडिटीज एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि ब्राउन राइस (भूरे चावल) की खरीद के लिए विदेशी आयातकों की पूछ परख बढ़ती जा रही है लेकिन अभी तक इसका निर्यात अनुबंध मुकम्मल नहीं हुआ है।
ब्राउन चावल को सेला चावल के समतुल्य माना जाता है इसलिए सरकार की तरफ से इसके निर्यात की अनुमित मिली हुई है और सेला चावल की भांति इस पर भी 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू है।
ब्राउन राइस का फ्री ऑन बोर्ड औसत इकाई निर्यात ऑफर मूल्य 500 डॉलर प्रति टन के आसपास चल रहा है। अभी केवल वियतनाम ने इसकी खरीदारी आरंभ की है और अब तक वहां कम से कम 5000 टन चावल का निर्यात शिपमेंट हो चुका है।
जल्दी ही कई अन्य देश भी इसकी खरीद आरंभ कर सकते हैं। ज्ञात हो कि 20 जुलाई 2023 से ही भारतीय गैर बासमती सफेद गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है इसलिए विदेशी खरीदारों को सेला चावल का आयात बढ़ाना पड़ रहा है। इस पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू है।
सरकार बासमती चावल के लिए 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) भी निर्धारित कर रखा है। सरक़ार की इन नीतियों के कारण वैश्विक बाजार में चावल की आपूर्ति की स्थिति काफी जटिल हो गई।
थाईलैंड सरकार अपने धान उत्पादकों को कम से कम मार्च 2024 तक अपने उत्पाद का स्टॉक बरकरार रखने के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही है। प्राप्त सूचना के अनुसार किसानों से कहा गया है कि वे अगले पांच महीनों तक अपने धान का स्टॉक बचाकर रखें।
इसके लिए 55 अरब 'बहत' (13,030 करोड़ रुपए) की स्कीम को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा धान की खरीद के लिए सहकारी समितियों को ऋण भी उपलब्ध करवाया जाएगा।
जो किसान अपने धान का स्टॉक बरकरार रखेंगे उन्हें 12,000 बहत (28,450 रुपए) प्रति टन का भुगतान किया जाएगा और 1500 बहत (3550 रुपए) का अतिरिक्त भंडारण खर्च भी दिया जाएगा। इसके तहत 30 लाख टन धान का स्टॉक रोकने का प्लान है ताकि घरेलू प्रभाग में चावल का अभाव न बने।