iGrain India - चंडीगढ़ । केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का सर्वाधिक योगदान देने वाले राज्य- पंजाब में धान की कटाई समाप्त होने के साथ ही खेतों में पराली जलाने का संकट भी खत्म हो चुका है।
दूसरी ओर वहां रबी कालीन फसलों और खासकर गेहूं की बिजाई भी नियत लक्ष्य के लगभग 90 प्रतिशत भाग में पूरी हो गई है। चालू वर्ष के दौरान राज्य में लगभग 35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बोआई का लक्ष्य रखा गया है।
आमतौर पर वहां इसका क्षेत्रफल 34.50 से 35.00 लाख हेक्टेयर के बीच रहता है। हालांकि राज्य सरकार फसल विविधिकरण कार्यक्रम के तहत धान एवं गेहूं का रकबा घटाकर दलहन तिलहन एवं मोटे अनाजों की खेती का दायरा बढ़ाने का प्रयास कर रही है मगर इसमें किसानों का कोई खास सहयोग-समर्थन नहीं मिल रहा है।
कृषि विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि पंजाब में अभी तक 31 लाख हेक्टेयर से कुछ अधिक क्षेत्र में गेहूं की बोआई हो चुकी है जबकि लगभग 4 लाख हेक्टेयर में बिजाई और हो सकती है। बिजाई की प्रक्रिया जोर शोर से जारी है। इस शेष बचे भाग में गेहूं की बोआई देर से होती है क्योंकि वह किसान बीच में हरी मटर की तीसरी फसल उगाते हैं।
गुरदासपुर एवं पटियाला जिलों में लक्ष्य के 98 प्रतिशत भाग में गेहूं की बिजाई पूरी होने की सूचना मिल रही है। इसके बाद संगरूर में 96 प्रतिशत भटिंडा में 95 प्रतिशत एसएएस नगर में 96 प्रतिशत, अमृतसर में 94 प्रतिशत, मनसा, रूप नगर, लुधियाना एवं तरन तारन जिलों में 93 प्रतिशत, मलेर कोटला में 91 प्रतिशत, शहीद भगतसिंह नगर में 89 प्रतिशत, बरवाला में 88 प्रतिशत,
फतेहगढ़ साहिब में 87 प्रतिशत, कपूरथला में 86 प्रतिशत मोगा में 85 प्रतिशत, फिरोजपुर में 80 प्रतिशत, जालंधर में 77 प्रतिशत, पठानकोट में 76 प्रतिशत, फाजिल्का में 73 प्रतिशत, होशियारपुर में 70 प्रतिशत एवं मुक्तसर जिले में 65 प्रतिशत क्षेत्र में गेहूं की बिजाई पूरी हुई है।
पंजाब के कृषि निदेशक को उम्मीद है कि अगले सप्ताह तक शेष 4 लाख हेक्टेयर में भी गेहूं की बोआई पूरी हो जाएगी। दरअसल धान की अगैती प्रजाति वाली फसल की कटाई के बाद अनेक किसानों द्वारा हरी मटर एवं साग-सब्जियों की खेती की गई थी ताकि अपनी आमदनी को बढ़ा सके।
अब यहां इन फसलों की अवधि समाप्त हो गई है और गेहूं की खेती आरंभ हो चुकी है। गेहूं की खेती के प्रति किसानों के उत्साह एवं आकर्षण में कोई कमी नहीं आई है।