iGrain India - मुम्बई । धनिया की कीमतों में तेजी- मजबूती का सिलसिला आगे भी जारी रहने की संभावना है क्योंकि एक तो इसका सीमित स्टॉक बचा हुआ है और दूसरे, वैश्विक बाजार में इसकी भारी मांग बनी हुई है।
अनेक क्षेत्रों में किसानों ने बढ़ते बाजार भाव को देखते हुए जीरा के बजाए धनिया की कहि खेती को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है। जीरा का वायदा भाव सितम्बर में 64,000 रुपए प्रति क्विंटल के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने के बाद नीचे गिरने लगा और अब काफी घट गया है।
गुजरात कृषि विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू रबी सीजन में 27 नवम्बर तक राज्य में धनिया का उत्पादन क्षेत्र केवल 35,754 हेक्टेयर तक ही पहुंच सका जो पिछले साल की इसी तिथि के बिजाई क्षेत्र 95,632 हेक्टेयर से 63 प्रतिशत कम था।
वहां मसाला फसलों की बिजाई आमतौर पर अक्टूबर दिसम्बर के बीच होती है। इसी अवधि में वहां जीरा का उत्पादन क्षेत्र 77,037 हेक्टेयर से बढ़कर 88,696 हेक्टेयर पर पहुंच गया।
बिजाई क्षेत्र में जोरदार गिरावट आने से धनिया के बाजार पर सकारात्मक असर पड़ रहा है और इसका भाव ऊंचा एवं तेज होने लगा है। कोटा (राजस्थान) के एक व्यापारी का कहना है कि धान की फसल को बिजाई एवं प्रगति के चरण में कुछ शुष्क एवं गर्म मौसम या धूप की आवश्यकता पड़ती है।
अक्टूबर माह के दौरान देश के उत्तरी एवं पश्चिमोत्तर भाग में तापमान उम्मीद से ज्यादा घट गया और बारिश का भी अभाव रहा। इससे जल भंडारण का स्तर प्रभावित हुआ। जब धनिया की बिजाई हो रही हो तब खेतों की मिटटी में नमी का पर्याप्त अंश मौजूद होना आवश्यक होता है।
समीक्षकों के अनुसार जाड़े का मौसम धनिया की बिजाई के लिए ज्यादा अनुकूल नहीं होता है इसलिए आगामी दिनों में इसकी जोरदार बिजाई होने में संदेह है। हालांकि इसकी बिजाई आगे जारी रहेगी लेकिन इसका कुल क्षेत्रफल गत वर्ष के स्तर तक पहुंचाना मुश्किल लगता है।
भारत से धनिया का बेहतर निर्यात हो रहा है क्योंकि दो अन्य प्रमुख निर्यातक देश- रूस तक यूक्रेन फरवरी 2022 से ही युद्ध में फंसे हुए हैं। मसाला बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के शुरूआती पांच महीनों में यानी अप्रैल- अगस्त 2023 के दौरान देश से धनिया का निर्यात तेजी से उछलकर 67,121 टन की उंचाई पर पहुंच गया जो पिछले साल के इन्हीं महीनों के शिपमेंट से 262 प्रतिशत अधिक रहा।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक जनवरी 2024 तक धनिया का वायदा भाव बढ़कर 8400 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकता है जबकि फरवरी से मंडियों में इसकी नई फसल की आवक शुरू हो सकती है। जोरदार आपूर्ति के समय इसका दाम गिरकर 7200 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास आने की संभावना है लेकिन आवक का दबाव समाप्त होने के बाद इसमें पुनः तेजी का माहौल बनेगा।