iGrain India - नई दिल्ली । 20 जुलाई 2023 से गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल के निर्यात पर लगा प्रतिबंध वर्ष 2024 में भी बरकरार रहने की संभावना है। इसे देखते हुए ऑस्ट्रिया के दो संस्थान द्वारा भारी एक रिपोर्ट में आयातक देशों को सिर्फ एक ही देश पर निर्भर रहने के बजाए अलग-अलग देशों से चावल मंगाने की योजना बनाने का सुझाव दिया गया है।
भारत निस्संदेह दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश है लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि उसका निर्यात प्रतिबंध समूचे संसार को प्रभावित कर रहा है और जो देश चावल आयात के लिए पूरी तरह भारत पर ही आश्रित थे उसकी कठिनाई काफी बढ़ गई है।
भारतीय प्रतिबंध के कारण अन्य निर्यातक देशों ने कच्चे चावल के दाम में मनमानी बढ़ोत्तरी कर दी है। भारत की वजह से ही पहले चावल के वैश्विक बाजार में संतुलन बना हुआ था और कीमतों में ज्यादा तेजी-मंदी नहीं आ पाती थी।
यदि आयातक देश विभिन्न आपूर्तिकर्ता देशों से चावल मंगा रहे होते तो उन्हें भारत के निर्यात प्रतिबंध के दुष्प्रभाव का ज्यादा सामना नहीं करना पड़ता।
वैसे थाईलैंड वियतनाम, म्यांमार एवं पाकिस्तान जैसे अन्य प्रमुख निर्यातक देशों में भी चावल का स्टॉक कम है और जब तक नया उत्पादन शानदार नहीं होगा तब तक वैश्विक बाजार के लिए इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता में जटिलता बनी रहेगी।
भारत सरकार के लिए निर्यात प्रतिबंध का निर्णय अचानक ही सामने आ गया जिससे आयातक देशों को संभलने का अवसर नहीं मिल सका और इसलिए उसकी मुश्किल बढ़ गई।
भारत में अल नीनो की वजह से चावल का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है जबकि विशाल मात्रा में इसकी घरेलू खपत होने से निर्यात योग्य स्टॉक नगण्य रहेगा।
इसे देखते हुए सरकार निकट भविष्य में सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात को खोलने का जोखिम नहीं उठाना चाहेगी और विदेशी आयातकों को अन्य आपूर्तिकर्ता देशों से मंगाने के लिए विवश पड़ेगा।