iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन नियत किए जाने के बाद बासमती धान की खरीद में निर्यातकों एवं राइस मिलर्स की सक्रियता काफी तेजी से बढ़ गई।
इसके फलस्वरूप प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण मंडियों में विभिन्न किस्मों एवं श्रेणियों के बासमती धान की जोरदार आवक होने के बावजूद उसका भाव गत वर्ष की तुलना में 11 से 14 प्रतिशत तक ऊंचा चल रहा है।
निर्यातकों का कहना है कि वैश्विक बाजार और खासकर मध्य पूर्व के देशों में बासमती चावल की मांग काफी मजबूत बनी हुई है। भारत से कच्चे (सफेद) गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लागू होने से भी बासमती चावल की मांग तेज हुई है। इसके फलस्वरूप बासमती धान का भाव ऊंचा हो गया है।
हरियाणा की करनाल मंडी को देश में बासमती धान-चावल का प्रमुख उत्पादक एवं व्यापारिक केन्द्र माना जाता है। वहां पूसा 1121 बासमती धान का भाव उछलकर 5000/5100 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है जो पिछले साल की समान अवधि में 4500/4600 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था।
इसी तरह पूसा 1509 बासमती धान का दाम गत वर्ष के 3500 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 4000 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। इतना ही नहीं बल्कि 1718 किस्म का मूल्य भी 4100 रुपए प्रति क्विंटल से उछलकर 4700 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच चुका है।
इससे किसानों को आकर्षक आमदनी प्राप्त हो रही है और मंडियों में भारी मात्रा में बासमती धान की आवक होने लगी है। निर्यातकों के अनुसार सितम्बर अक्टूबर में देश से बासमती चावल का निर्यात काफी घट गया इसलिए आयातकों में अब इसकी खरीद के लिए होड़ मची हुई है।
इसे देखते हुए लगता है कि चालू मार्केटिंग सीजन के शेष दिनों में भी बासमती धान का भाव ऊंचे स्तर पर मौजूद रहेगा।