iGrain India - नई दिल्ली । पौष्टिक अनाज या श्री अन्न के रूप में चर्चित हो रहे मिलेट्स की मांग एवं खपत तेजी से बढ़ती जा रही है मगर इसका उत्पादन तेजी से नहीं बढ़ रहा है। भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान के सीईओ का कहना है कि मिलेट्स के पोषक गुणों के बारे में जागरूकता तेजी से बढ़ रही है।
वर्तमान उत्पादन के मुकाबले भारत को 40 प्रतिशत अधिक पौष्टिक अनाज की जरूरत है। हैदराबाद में आयोजित पांचवें इंटरनेशनल न्यूट्री सीरियल कन्वेंशन में तमाम वक्ताओं विशेषज्ञों ने विभिन्न पोषक अनाजों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए इसका आधिकारिक उपयोग किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
पूरी दुनिया मिलेट्स निर्यात के लिए भारत की तरफ देख रही है जबकि स्वयं भारत में इसकी खपत बढ़ रही है। ऐसी हालत में इसका घरेलू उत्पादन बढ़ाए जाने की सख्त जरूरत है।
इसके लिए गैर परम्परागत क्षेत्रों में इसकी खेती का विस्तार करने तथा उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता है। आने वाले समय में घरेलू तथा वैश्विक बाजार में मिलेट्स की खपत बढ़ने के प्रबल आसार हैं।
एक विशेषज्ञ के अनुसार देश में लगभग 200 लाख टन मिलेट्स का वार्षिक उत्पादन होता है लेकिन इसकी मांग इतनी विशाल है कि यह उत्पादन उसे पूरा नहीं कर पाएगा और इसकी पैदावार बढ़ाने के नए रास्ते तलाशने होंगे।
पहले उत्पादन ज्यादा एवं उपयोग कम होता था इसलिए कीमतों पर दबाव बना रहता था। अब हालात बदलने लगे है। उत्पादन में तो कमोबेश स्थिरता बनी हुई है मगर मांग और खपत बढ़ती जा रही है। राष्ट्रीय पोषण संस्थान ने कहा है कि आने वाले समय में अनाज की कुछ मांग एवं खपत में मिलेट्स की भागीदारी बढ़कर कम से कम 30 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।