iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । मौसम विभाग के अनुमान के अनुरूप चालू सप्ताह के शुरूआती दो दिनों के दौरान पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से गुजरात, राजस्थान एवं हरियाणा सहित कुछ अन्य राज्यों में हल्की से मध्यम बारिश हुई या गरज-चमक के साथ बौछार पड़ी।
इससे रबी कालीन फसलों की बिजाई एवं प्रगति में सहायता मिलेगी। पर्वतीय राज्यों में कई जगह बर्फबारी भी हुई। मैदानी इलाकों में तापमान घटने लगा है।
मौसम विभाग के अनुसार खतरनाक मौसम अब पश्चिमी भाग से आगे बढ़कर देश के मध्यवर्ती एवं पूर्वी हिस्से में पहुंच रहा है जिससे वहां भी वर्षा होने एवं ठंड बढ़ने की संभावना है। उधर बंगाल की खाड़ी के ऊपर नमी युक्त बादलों का निर्माण हो रहा है जिससे कुछ राज्यों में अच्छी बारिश हो सकती है।
अक्टूबर में देश के अधिकांश भाग में मौसम शुष्क एवं गर्म बना रहा जिससे किसानों को रबी फसलों की बिजाई की गति तेज करने में कठिनाई हुई। लेकिन नवम्बर के अंतिम सप्ताह में हो रही यह बारिश किसानों को राहत प्रदान करेगी।
रबी सीजन में गेहूं, जौ, चना, मसूर, मटर एवं सरसों सहित कई अन्य फसलों की खेती होती है। इसकी बिजाई का पीक सीजन चल रहा है और ऐसे समय में बारिश होने से उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद रहेगी।
दरअसल जनवरी-मार्च 2024 की तिमाही में अल नीनो मौसम चक्र के प्रकोप से तापमान सामान्य स्तर से ऊंचा रहने का अनुमान लगाया गया है जिससे रबी फसलों को नुकसान होने की आशंका व्यक्त की जा रही है लेकिन यदि समय-समय पर इस तरह की बारिश होती रही तो नुकसान की संभावना काफी घट जाएगी।
मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी-पश्चिमी भाग के ऊपर दिसम्बर के आरंभ में श्रीलंका एवं तमिलनाडु के आसपास एक चक्रवाती तूफान का निर्माण होने की संभावना है जिससे दक्षिण भारत में बड़े पैमाने पर बारिश हो सकती है।
इससे वहां सूखे की भयंकरता घटेगी और बांधों- जलाशयों में पानी का स्तर बढ़ेगा। देश के पश्चिमी एवं पश्चिमोत्तर भाग में भी वर्षा होने की उम्मीद है। इसी तरह पूर्वी तथा पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश के आसार बने हुए हैं जिसका सिरा झारखंड से उड़ीसा तक फ़ैल सकता है।
नवम्बर के अंतिम एवं दिसम्बर के प्रथम सप्ताह के दौरान होने वाली इस वर्षा से लगभग सभी राज्यों में रबी फसलों की बिजाई की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। इसकी सख्त आवश्यकता भी है। खरीफ फसलों की कटाई पश्चिमोत्तर प्रांतों में लगभग समाप्त हो चुकी है।