iGrain India - सस्काटून । गेहूं की वैश्विक खपत 2022-23 सीजन की तुलना में करीब 90 लाख टन बढ़कर 2023-24 के सीजन में 80.40 करोड़ टन पर पहुंचने की संभावना है जबकि इसका सफल उत्पादन 70 लाख टन घटकर 78.70 करोड़ टन पर सिमटने का अनुमान लगाया गया है।
इस तरह उत्पादन की तुलना में उपयोग अधिक होने से गेहूं का वैश्विक स्टॉक घट जाएगा। समीक्षकों के मुताबिक गेहूं के बकाया स्टॉक में 1.70 करोड़ टन तक की गिरावट आ सकती है जो वर्ष 2012 के बाद सबसे बड़ी गिरावट होगी।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक पिछले साल की तुलना में 2023-24 सीजन के दौरान कनाडा, रूस तथा ऑस्ट्रेलिया में गेहूं का उत्पादन घटने से वैशिवक पैदावार में गिरावट आएगी।
दीर्घकालीन परिदृश्य ऐसा बन रहा है कि गेहूं का वैश्विक उपयोग इसके उत्पादन के मुकाबले ज्यादा तेज गति से बढ़ेगा और इससे मांग तथा आपूर्ति के संतुलन में जटिलता बनी रहेगी। इसके फलस्वरूप गेहूं की कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार रहने के आसार हैं।
एक अग्रणी विश्लेषक के अनुसार प्रत्येक वर्ष गेहूं के उत्पादन में करीब एक-करोड़ टन का इजाफा हो सकता है जबकि इसकी खपत में 1.10 करोड़ टन की बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। इससे अधिशेष स्टॉक में नियमित रूप से गिरावट आ सकती है जो बाद में जटिल स्थिति पैदा कर देगी।
हालांकि 2023-24 के मार्केटिंग सीजन की समाप्ति पर गेहूं का वैश्विक बकाया स्टॉक 26.40 करोड़ टन के ऊंचे स्तर पर मौजूद रहने की संभावना है जिससे निकट भविष्य में खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर संकट पैदा नहीं होगा लेकिन प्रमुख निर्यातक देशों में यह स्टॉक 70 लाख टन घटकर 5.80 करोड़ टन पर सिमटने का अनुमान है जिससे वैश्विक बाजार में आपूर्ति की स्थिति कुछ जटिल हो सकती है।
चीन और भारत जैसे देशों में गेहूं का ज्यादा स्टॉक रहेगा मगर वहां से इसका निर्यात होना मुश्किल है। गेहूं के प्रमुख निर्यातक देशों में रूस, ऑस्ट्रेलिया, अमरीका, कनाडा, फ्रांस, यूक्रेन, अर्जेन्टीना तथा जर्मनी आदि शामिल है।