iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि पिछले कई महीनों से गेहूं सहित अन्य महत्वपूर्ण कृषि जिंसों का बाजार भाव ऊंचा चल रहा है मगर रबी फसलों की बिजाई की रफ्तार धीमी देखी जा रही है।
राष्ट्रीय स्तर पर 24 नवम्बर 2023 तक रबी फसलों का कुल बिजाई क्षेत्र 350 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जो पिछले साल की समान अवधि के उत्पादन क्षेत्र 369.74 लाख हेक्टेयर से 5.3 प्रतिशत कम तथा सम्पूर्ण सीजन के सामान्य औसत क्षेत्रफल का 54 प्रतिशत है।
रबी सीजन के सबसे प्रमुख खाद्यान्न- गेहूं का उत्पादन क्षेत्र इस अवधि में 149.05 लाख हेक्टेयर से 4.8 प्रतिशत घटकर 141.87 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया जबकि इसका खुला बाजार भाव सरकारी समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा चल रहा है।
वैसे गेहूं की बिजाई को अभी लम्बा रास्ता तय करना है और और अब मौसम भी अनुकूल होने लगा है इसलिए कुल क्षेत्रफल में सुधार आने की उम्मीद बनी हुई है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय इस बार 60 प्रतिशत क्षेत्र में गेहूं की ऐसी उन्नत किस्मों की खेती पर जोर दे रहा है जो जलवायु या मौसम की प्रतिकूल स्थिति को अधिक समय तक सहन करने में सक्षम है।
अल नीनो के किसी भी दुष्प्रभाव को न्यूनतम स्तर पर लाने में इससे सहायता मिलेगी। 18 से 24 नवम्बर के बीच 55.85 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बोआई हुई।
दलहनों का रकबा भी गत वर्ष के 103.59 लाख हेक्टेयर से 8.5 प्रतिशत घटकर 94.74 लाख हेक्टेयर रह गया। हालांकि समीक्षाधीन अवधि के दौरान मसूर एवं मटर के रकबे में बढ़ोत्तरी हुई मगर चना का उत्पादन क्षेत्र 75.07 लाख हेक्टेयर से 11.8 प्रतिशत घटकर 66.19 लाख हेक्टेयर रह गया। मसूर का क्षेत्रफल 12.03 लाख हेक्टेयर से 5.9 प्रतिशत बढ़कर 12.74 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा।
मोटे अनाजों का उत्पादन क्षेत्र पहले बढ़ रहा था मगर 24 नवम्बर वाले सप्ताह में 25.43 लाख हेक्टेयर से घटकर 14.06 लाख हेक्टेयर, मक्का का रकबा 5.85 लाख हेक्टेयर से 17.9 प्रतिशत घटकर 4.81 लाख हेक्टेयर तथा जौ का क्षेत्रफल 4.04 लाख हेक्टेयर से गिरकर 3.65 लाख हेक्टेयर रह गया।
लेकिन सरसों की बिजाई में थोड़ी वृद्धि हुई और इसका क्षेत्रफल गत वर्ष के 77.74 लाख हेक्टेयर से सुधरकर इस बार 77.78 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जो सामान्य औसत क्षेत्रफल से भी काफी अधिक है। वैसे रबी कालीन तिलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 82.53 लाख हेक्टेयर से गिरकर 82.01 लाख हेक्टेयर पर आ गया।
रबी कालीन धान का उत्पादन क्षेत्र भी पिछले साल के 9.15 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 8.41 लाख हेक्टेयर पर अटक गया। रबी कालीन धान का उत्पादन क्षेत्र भी पिछले साल के 9.15 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 8.41 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।