iGrain India - हैदराबाद । कृषि वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने मिलेट्स की घरेलू एवं वैश्विक मांग में हो रही जोरदार वृद्धि को पूरा करने के लिए इसके उत्पादन में अपेक्षित बढ़ोत्तरी करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा है कि इसके लिए उच्च उपज दर वाली किस्मों का क्षेत्रफल बढ़ाया जाना चाहिए।
हैदराबाद में आयोजित पांचवें इंटरनेशनल न्यूट्री सीरियल कन्वेंशन में कृषि अर्थ शास्त्रियों ने कहा कि मिलेट्स आंदोलन को वर्ष 2023 से आगे भी नियमित रूप से जारी रखा जाना चाहिए क्योंकि यह काफी पौष्टिक अनाज होता है और इसके नियमित उपयोग से स्वस्थ्य सम्बन्धी अनेक समस्याएं दूर हो जाती हैं। भारत संसार में इसके सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश के रूप में उभर रहा है।
भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान के निदेशक का कहना है कि कुछ गैर परम्परागत क्षेत्रों में मिलेट्स की खेती हो सकती है लेकिन कुल मिलाकर इसके बिजाई क्षेत्र में भारी इजाफा करना मुश्किल है इसलिए उत्पादन बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका इसकी औसत उपज दर में बढ़ोत्तरी करना है।
इसके लिए नई-नई टेक्नोलॉजी एवं उन्नत बीज की जरूरत है। मिलेट्स की किस्मों ततः हाइब्रीड में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय सुधार आया है। अब तक मिलेट्स की करीब 262 उन्नत किस्में व्यावसायिक खेती के लिए जारी की जा चुकी है।
अब इसके क्षेत्रफल का दायरा बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। पुरानी परम्परागत किस्मों को विस्थापित करके नई उन्नत प्रजातियों की खेती पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि उन्नत एवं विकसित किस्मों के बीच की उपलब्धता एवं मिलेट्स की औसत उपज में जोरदार बढ़ोत्तरी हुई है मिलेट्स की श्रेणी में नौ तरह के अनाज शामिल हैं जबकि इन नौ अनाजों के लिए 220 से अधिक किस्मों के बीज उपलब्ध हैं।
बीजों की उपलब्धता में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है। कुछ वर्ष पूर्व तक इसके तकरीबन 4.50 लाख टन बीज उपलब्ध थे जो अब बढ़कर 8 लाख टन पर पहुंच गए हैं। जैसे-जैसे मिलेट्स की मांग बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे इसके उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है।