iGrain India - नई दिल्ली । कुछ व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि चालू रबी सीजन के दौरान जो हालात बन रहे हैं उससे लगता है कि वर्ष 2024 में केन्द्र सरकार मटर के आयात की नीति को उदार बनाने तथा नियमों-शर्तों में ढील देने पर विचार कर सकती है।
हालांकि मसूर और चना का बिजाई क्षेत्र थोड़ी-बहुत घट-बढ़ के साथ पिछले सीजन के लगभग आसपास ही रहने की संभावना है लेकिन मौसम की हालत प्रतिकूल रहने की आशंका व्यक्त की जा रही है जिससे इसके उत्पादन में कमी आ सकती है।
खरीफ कालीन दलहन फसलों का उत्पादन कमजोर होना निश्चित है और यदि रबी सीजन में भी पैदावार कम हुई तो सरकार को मटर आयात के बारे में सोचना पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड संभाग में मसूर एवं मटर का सर्वाधिक उत्पादन होता है।
वहां मानसून की बारिश कम हुई और मानसून के बाद की वर्षा भी सामान्य से कम देखी जा रही है। मौसम विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि 1 अक्टूबर से 28 नवम्बर 2023 तक मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं गुजरात जैसे राज्यों में सामान्य औसत के मुकाबले 12 से 44 प्रतिशत तक कम वर्षा हुई। लेकिन राजस्थान में 16 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई।
मध्य प्रदेश में मसूर का उत्पादन क्षेत्र सामान्य औसत क्षेत्रफल से अधिक तथा उत्तर प्रदेश में उसके आसपास रहने का अनुमान लगाते हुए भारती एग्री के डायरेक्टर राहुल चौहान ने कहा है कि इसका उत्पादन आगामी महीनों के मौसम पर निर्भर करेगा। बिहार एवं बंगाल जैसे राज्यों में मसूर की बिजाई पर नजर रखना आवश्यक है। वहां भी इसकी अच्छी खेती होती है।
राहुल चौहान के अनुसार चना की खेती देश के अनेक राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है। इसका बिजाई क्षेत्र गत वर्ष से पीछे चल रहा है। 2022-23 सीजन के अधिकांश समय में इसका भाव कमजोर रहने से सरकार को किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विशाल मात्रा में चना खरीदना पड़ा था।
अब उसकी नियमित रूप से बिक्री की जा रही है। वर्तमान समय में व्यापारियों, दाल मिलर्स एवं नैफेड के पास चना का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है और इसका भाव समर्थन मूल्य के आसपास चल रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर रबी कालीन दलहन फसलों की आधी बिजाई पूरी हो चुकी है जबकि बिजाई की प्रक्रिया अभी जारी है। लेकिन आगामी महीनों के दौरान मौसम की हालत खराब रहने की आशंका है।
वैश्विक मॉडल्स से संकेत मिलता है कि जनवरी से मार्च-अप्रैल तक अल नीनो मौसम चक्र का प्रभाव और प्रकोप रहेगा जिससे कम वर्षा के साथ तापमान सामान्य स्तर से ऊंचा रह सकता है। यह अवधि रबी कालीन फसलों की प्रगति के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है।
मटर पर फिलहाल 50 प्रतिशत का बुनियादी आयात शुल्क लगा हुआ है लेकिन इसके आयात के लिए जो अन्य शर्तें निर्धारित की गई है वे अत्यन्त सख्त हैं।
जब तक इन शर्तों को हटाया नहीं जाता तब तक मटर का आयात करना लगभग असंभव होगा। सरकार के पास एक विकल्प यह है कि वह मटर के लिए आयात कोटा में बढ़ोत्तरी करे और इस पर कोई शर्त न लगाए।