iGrain India - मुम्बई । केन्द्र सरकार द्वारा फिलहाल राइस ब्रान एक्सट्रैक्शन (डि ऑयल्ड) के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाए जाने की संभावना नहीं है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के पूर्वी जोन के चेयरमैन का कहना है कि पहले यह प्रतिबंध वापस किए जाने की उम्मीद की जा रही थी और एसोसिएशन द्वारा सरकार से इसके लिए आग्रह भी किया जा रहा था।
लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार अपना निर्णय बदलने के मूड में नहीं है क्योंकि अगले वर्ष आम चुनाव होना है और घरेलू प्रभाग में महंगाई को बढ़ने से रोकने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने 28 जुलाई को डि ऑयल्ड आज समाप्त हो रही है। डेयरी उत्पादों के दाम में हुई भारी बढ़ोत्तरी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया था।
ज्ञात हो कि पशु आहार, पॉल्ट्री फीड एवं अक्वा फीड आदि के उत्पादन में डि ऑयल्ड राइस ब्रान का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। लेकिन 'सी' का कहना है कि राइस ब्रान एक्सट्रैक्शन के दाम का दुग्ध या अन्य डेयरी उत्पादों की कीमतों पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है।
एसोसिएशन द्वारा 21 नवम्बर को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि इस निर्यात प्रतिबंध का सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन उद्योग पर नकारात्मक या प्रतिकूल असर पड़ रहा है जबकि डेयरी उत्पादों के लागत खर्च एवं बाजार भाव में भी कोई कमी नहीं आई है। इसे देखते हुए सरकार को डि ऑयल्ड राइस ब्रान के निर्यात पर लागू प्रतिबंध की अवधि को 30 नवम्बर 2023 से आगे नहीं बढ़ाना चाहिए।
पूर्वी जोन के चेयरमैन का कहना है कि पश्चिम बंगाल अकेला ऐसा राज्य है जहां से डि ऑयल्ड राइस ब्रान का निर्यात होता है जबकि गुजरात एवं महाराष्ट्र जैसे राज्यों का डेयरी उद्योग अपने पशु आहार निर्माण के लिए बंगाल के उत्पाद पर निर्भर नहीं हैं।
पश्चिम बंगाल में डेयरी उद्योग ज्यादा विकसित नहीं है इसलिए मिलर्स को आंध्र प्रदेश एवं केरल जैसे राज्यों को काफी कम दाम पर अपना डि ऑयल्ड राइस ब्रान बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
बंगाल में इसके निर्माण के लिए तो 30-35 प्लांट है मगर अभी केवल 10-12 प्लांट ही सक्रिय हैं। अगले महीने से राज्य में नए धान की आवक शुरू हो जाएगी।
यदि निर्यात प्रतिबंध नहीं हटाया गया तो बंगाल के राइस ब्रान प्रोसेसर्स को अपना प्लांट बंद करने के लिए विवश होना पड़ेगा। राइस ब्रान एक्सट्रैक्शन का भाव अगस्त में 18000 रुपए प्रति टन चल रहा था जो अब घटकर 13,500 रुपए प्रति टन रह गया है।