iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय में सचिव का कहना है कि वैश्विक कृषि प्रक्रियाओं एवं उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करते हुए सर्वोत्तम क्वालिटी की क्लास का उत्पादन बढ़ाने हेतु देश के 10 राज्यों में एक पायलट परियोजना आरंभ की गई है और इसमें फिलहाल 15,000 किसानों को शामिल किया गया है।
कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर कपड़ा मंत्रालय ने यह पायलट परियोजना शुरू की है। देश में पिछले कुछ वर्षों से कपास के उत्पादन में गिरावट का रुख बना हुआ है। इसकी दिशा बदलने की जरूरत है।
इसमें यह पायलट परियोजना मददगार साबित हो सकती है। अगले साल जनवरी में इस परियोजना का परिणाम सामने आने की संभावना है। उसके आंकड़ों का मूल्यांकन भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद द्वारा किया जाएगा और उसके बाद इस नई तकनीकों एवं कृषि पद्धतियों के प्रभाव का आंकलन करना संभव हो सकेगा।
कपड़ा सचिव के मुताबिक इस परियोजना के लिए कृषि मंत्रालय सहित अन्य सभी सम्बन्ध पक्षों के साथ काफी निकट सहयोग से काम दिया जा रहा है ताकि कपास की उपज दर को बढ़ाया जा सके। इसके लिए सर्वोत्तम कृषि विधि का इस्तेमाल किया जा रहा है।
उत्तम के बीज का प्रयोग किया गया है और उच्च घनत्व वाली प्लांटिंग विधि अपनाई गई है। इससे कपास की उपज दर एवं क्वालिटी में काफी सुधार आने के आसार हैं।
उल्लेखनीय है कि 2 दिसम्बर 2023 से मुम्बई में इंटरनेशनल कॉटन एडवायजरी कमिटी की 81 वीं प्लेनरी मीटिंग शुरू होने वाली है जिसके एजेंडे की घोषणा करने के कपड़ा मंत्रालय की ओर से पिछले दिन एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित किया गया था। इस कमिटी का मुख्यालय वाशिंगटन में है और यह कपास उत्पादक देशों की एक वैश्विक संस्था है।
जिन 10 राज्यों में कपास उत्पादन एवं संवर्धन की पाययट परियोजना शुरू की गई है उसमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक शामिल हैं। लेकिन इसमें तेलंगाना एवं उड़ीसा जैसे राज्यों को सम्मिलित नहीं किया गया है। इस बार रूई की सरकारी खरीद भी 2.50 लाख गांठ तक पहुंची है।