iGrain India - नई दिल्ली । गेहूं एवं चावल सहित अन्य अनाजों के साथ-साथ दाल-दलहनों का बाजार भी काफी ऊंचा एवं तेज चल रहा है जिसे नीचे लाने के लिए सरकार हर तरह का प्रयास कर रही है। व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि अन्य जिंसों के मुकाबले दलहनों की कीमतों पर अंकुश लगाना ज्यादा मुश्किल है।
हालांकि भारत दुनिया में दलहनों का सबसे प्रमुख उत्पादक देश है मगर साथ ही साथ इसकी खपत में भी सबसे आगे है। दुनिया में दलहनों का सबसे प्रमुख उत्पादक देश है मगर साथ ही साथ खपत में भी सबसे आगे है।
घरेलू उत्पादन मांग एवं खपत से कम होने के कारण भारत को विदेशों से विशाल मात्रा में तुवर, मसूर एवं उड़द जैसे दलहनों का आयात करना पड़ रहा है। आयात में बाधा या देरी होने अथवा आपूर्तिकर्ता देशों में भाव ऊंचा होने से घरेलू प्रभाग में दलहनों का दाम तेज हो जाता है।
भारत में लगभग सभी किस्मों की दालों का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है जिसमें तुवर, उड़द, चना, मूंग, मसूर एवं मटर मुख्य रूप से शामिल है। उपभोक्ता मामले विशाल के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस वर्ष चना के दाम में 19 प्रतिशत एवं तुवर के मूल्य में 41 प्रतिशत का भारी इजाफा हुआ है।
अन्य दलहनों के दाम में भी बढ़ोत्तरी हुई है। केवल मसूर इसका अपवाद है। कुछ प्रमुख नगरों में दलहनों की कीमतों में इससे ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई है। दिल्ली में तुवर दाल का दाम करीब 50 प्रतिशत उछलकर 173 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है जो गत वर्ष 118 रुपए प्रति किलो था। अन्य दालों का दाम भी तेजी से बढ़ा है जिससे आम लोगों को भारी कठिनाई हो रही है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ सीजन के दौरान वर्षा पर आश्रित क्षेत्रों में दलहन फसलों का रकबा 11.5 प्रतिशत घट गया जबकि दलहनों का कुल उत्पादन गत वर्ष के 81.60 लाख टन से घटकर इस बार 71.20 लाख टन पर सिमटने की संभावना है।
इसका सर्वाधिक 96 लाख टन का उत्पादन 2016-17 के सीजन में हुआ था। कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों में इस बार बारिश की कमी से फसल को काफी नुकसान हुआ।
रबी कालीन दलहन फसलों की बिजाई भी पीछे चल रही है। चना का रकबा 12 प्रतिशत घट गया है। मौसम की हालत आगे दलहन फसलों के लिए अनुकूल रहने में संदेह है। किसानों में दलहनों की खेती के प्रति दुविधा बढ़ गई है क्योंकि अक्सर प्राकृतिक आपदाओं से इसे नुकसान हो जाता है।
विदेशों से दलहनों का पर्याप्त आयात सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं मगर घरेलू बाजार पर इसका सीमित असर देखा जा रहा है। तुवर, उड़द, मूंग एवं चना का भाव ऊंचे स्तर पर मौजूद है और निकट भविष्य में इसमें ज्यादा नरमी आना मुश्किल लगता है।