iGrain India - सिंगापुर । अल नीनो की वजह से मौसम शुष्क एवं गर्म होने के कारण एशियाई देशों में धान-चावल का उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है। इससे वर्ष 2024 की पहली तिमाही में इसकी आपूर्ति की समस्या गंभीर हो सकती है।
थाईलैंड जैसे देशों में धान की रोपाई के लिए स्थिति अनुकूल नहीं रही जबकि भारत सहित कुछ अन्य देशों में बांधों-जलाशयों में पानी का स्तर घट गया। जनवरी-मार्च 2023 की तिमाही में अल नीनो का प्रकोप बढ़ने का अनुमान है। इससे धान की औसत उपज दर में कमी आ सकती है।
भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक एवं चीन के बाद दूसरा सबसे प्रमुख उत्पादक देश है। यहां चावल के उत्पादन में काफी गिरावट आने की संभावना है।
इसी तरह थाईलैंड में ऑफ सीजन के दौरान चावल का उत्पादन घटने की आशंका है जबकि वह दूसरा सबसे प्रमुख चावल निर्यातक देश है। उधर इंडोनेशिया अब भी सुखे का संकट झेल रहा है जबकि वह चावल का एक महत्वपूर्ण आयातक देश माना जाता है। अन्य एशियाई देशों में भी हालत बहुत अच्छी नहीं है।
हालांकि चावल के अत्यन्त ऊंचे वैश्विक बाजार भाव को देखते हुए धान के क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी होनी चाहिए थी मगर प्रमुख उत्पादक देशों में परिस्थितियां इसके लिए अनुकूल नहीं हैं।
धान की फसल को पानी का सर्वाधिक जरूरत पड़ती है मगर प्रमुख उत्पादक देशों में वर्षा इस बार संतोषजनक नहीं हुई है। भारत के साथ-साथ थाईलैंड में भी चावल की निर्यात नीति को सख्त बनाए जाने की संभावना है। इंडोनेशिया में बांधों- जलाशयों में पानी का स्तर काफी घट जाने से धान की फसल की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पाएगा।
प्रमुख उत्पादक, निर्यातक एवं आयातक देशों में चावल की मांग एवं आपूर्ति का संतुलन जटिल रहने की संभावना है जिससे कीटों में तेजी-मजबूती का रूख आगामी महीनों के दौरान बरकरार रह सकता है।
समीक्षकों का मानना है कि भारत सरकार मई-जून 2023 तक सफेद गैर बासमती चावल के व्यापारिक निर्यात की अनुमति नहीं देना चाहेगी जबकि सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क बरकरार रख सकती है।
वर्ष 2023 के दौरान एशिया में चावल के दाम 30-40 प्रतिशत का इजाफा हो चुका है। अब भी बाजार में तेजी बरकरार है जिससे एशिया के साथ-साथ अफ्रीका के अनेक देशों को भारी कठिनाई हो रही है।