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चना के घटते क्षेत्रफल से भाव मजबूत रहने के आसार

प्रकाशित 04/12/2023, 06:39 pm
चना के घटते क्षेत्रफल से भाव मजबूत रहने के आसार

iGrain India - नई दिल्ली । रबी सीजन के सबसे प्रमुख दलहन-चना की आपूर्ति का ऑफ या लीन सीजन चल रहा है और फरवरी-मार्च में नए माल की आवक की गति धीमी रहने तथा इसकी कीमतों में नरमी आना मुश्किल लगता है।

बेशक नैफेड के पास 20-22 लाख टन चना का भारी-भरकम स्टॉक मौजूद है मगर इसकी नीलामी बिक्री ऊंचे दाम पर की जा रही है। नवीनतम टेंडर के तहत नैफेड ने महाराष्ट्र में  6001 रुपए प्रति क्विंटल, मध्य प्रदेश में 5901 रुपए प्रति क्विंटल एवं गुजरात में 6017 रुपए प्रति क्विंटल के मूल्य स्तर की स्वीकृति दी है जो न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा है।

ऐसी स्थिति में बाजार भाव नरम पड़ना कठिन है। थोक मंडियों में चना की आवक काफी कम हो रही है जबकि मांग सामान्य देखी जा रही है। उल्लेखनीय है कि चना भारत में सर्वाधिक उपयोग किया जाने वाला दलहन है। 

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर चना का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 85.54 लाख हेक्टेयर से 10.45 लाख हेक्टेयर घटकर इस बार 75.09 लाख हेक्टेयर रह गया। यह 1 दिसम्बर तक का आंकड़ा है। चना की खेती अभी जारी है लेकिन कुल क्षेत्रफल के इस विशाल अंतर को पाटना आसान नहीं होगा। 

पिछले साल की तुलना में चालू रबी सीजन के दौरान चना का उत्पादन क्षेत्र महाराष्ट्र में 19.26 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 15.26 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 10.73 लाख हेक्टेयर से घटकर 8.24 लाख हेक्टेयर तथा राजस्थान में 20.42 लाख हेक्टेयर से घटकर 17.52 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया। महाराष्ट्र और कर्नाटक में बारिश कम होने से चना की बिजाई पिछड़ी है मगर राजस्थान में क्षेत्रफल घटने का कोई ठोस कारण सामने नहीं आया है। 

दूसरी ओर चना का बिजाई क्षेत्र समीक्षाधीन अवधि के दौरान मध्य प्रदेश में 18.60 लाख हेक्टेयर से उछलकर 20.26 लाख हेक्टेयर तथा उत्तर प्रदेश में 5.82 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 6.44 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा है।

अन्य प्रांतों के तहत चना का रकबा छत्तीसगढ़ में 1.30 लाख हेक्टेयर से गिरकर 1.22 लाख हेक्टेयर तथा तेलंगाना में 97 हजार हेक्टेयर से गिरकर 64 हजार हेक्टेयर और देश के शेष राज्यों में 8.44 लाख हेक्टेयर से घटकर 5.51 लाख हेक्टेयर रह गया। 

खरीफ कालीन दलहन फसलों का उत्पादन पहले से ही घटने का अनुमान लगाया जा रहा है जिससे खासकर तुवर, उड़द एवं मूंग का बाजार भाव काफी ऊंचा चल रहा है। यदि रबी कालीन दलहनों के उत्पादन में गिरावट की संभावना बढ़ी तो बाजार में तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार रह सकता है।

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