iGrain India - चंडीगढ़ । हालांकि जुलाई-अगस्त के दौरान पंजाब में बाढ़ एवं प्रतिकूल मौसम से धान की फसल को कुछ नुकसान हुआ था लेकिन इसके बावजूद 2023-24 के मौजूदा खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान वहां इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का शानदार उत्पादन होने के संकेत मिले हैं।
मालूम हो कि पंजाब केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का सर्वाधिक योगदान देने वाला राज्य है। वहां इस बार धान का कुल उत्पादन उछलकर 205 लाख टन से ऊपर पहुंच जाने की उम्मीद है।
पिछले साल की तुलना में इस वर्ष वहां धान के क्षेत्रफल में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ मगर इसकी औसत उपज दर में 4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से भी अधिक की बढ़ोत्तरी हो गई।
पंजाब के कृषि निदेशक का कहना है कि लम्बे आरसे के बाद तथा शुरूआती नुकसान के बावजूद इस बार धान का उत्पादन 205 लाख टन से ऊपर के स्तर पर पहुंचने के आसार है।
2022-23 के सीजन में करीब 205 लाख टन धान का उत्पादन हुआ था जबकि 2020-21 के सीजन में कुल उत्पादन 208 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था।
कृषि निदेशक के मुताबिक पंजाब में धान की फसल की कटाई का नया तरीका आजमाए जाने से इसकी क्षति घटकर न्यूनतम स्तर पर आ गई है और औसत उपज दर 69.39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की ऊंचाई पर पहुंच गई है जो 2022-23 की औसत उत्पादकता दर से 4.60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ज्यादा है।
जुलाई-अगस्त के दौरान पंजाब में हालत अच्छी नहीं थी। भयंकर बाढ़ से कुछ क्षेत्रों में फसल क्षतिग्रस्त होने से किसानों को धान की दोबारा रोपाई करनी पड़ी थी।
जिन जिलों में फसल को भारी नुकसान हुआ था उसमें पटियाला, संगरूर, रूप नगर, जालंधर, फिरोजपुर एवं फतेहगढ़ साहिब शामिल थे। वहां एक लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में किसानों को धान की दोबारा रोपाई करनी पड़ी थी।
किसानों ने पीआर -126 किस्म के धान की रोपाई पर विशेष जोर दिया क्योंकि इसकी परिपक्वता अवधि छोटी होती है। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में पूसा बासमती 1509 किस्म की खेती का दायरा भी बढाया गया।
गैर बासमती धान की खरीद तो सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन पर की जा रही है जबकि बासमती धान की खरीद निर्यातकों एवं मिलर्स द्वारा ऊंचे दाम पर हो रही है जिससे किसानों को शानदार आमदनी प्राप्त हो रही है।
मलेरकोटला जिले में धान की औसत उपज दर 84.13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची जो अन्य जिलों से अधिक रही। इसके बाद बरनाला में उपज दर 81.06 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, जालंधर में 77.55 क्विंटल, संगरूर में 76.36 क्विंटल तथा मोगा जिले में 76.30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई।