iGrain India - रंगून । भारत को दलहनों की आपूर्ति करने वाले एक प्रमुख देश- म्यांमार के एक अग्रणी निर्यातक श्याम नारसरिया ने 2023-24 सीजन के दौरान वहां तुवर का उत्पादन बढ़कर 3.50 लाख टन से अधिक होने तथा उड़द का उत्पादन 8 लाख टन से ऊपर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है।
इस अग्रणी निर्यातक का कहना है कि म्यांमार में चालू वर्ष के दौरान दलहन फसलों की बिजाई से लेकर अब तक मौसम की हालत अनुकूल रही है। इससे फसल की अच्छी प्रगति हो रही है और इसकी उपज दर तथा क्वालिटी में सुधार आने के आसार हैं।
म्यांमार की उत्पादक मंडियों में तुवर के नए माल की छिटपुट आवक शुरू हो चुकी है। अभी रोजाना 40-50 बोरी तुवर की आवक हो रही है जबकि अगले 10-15 दिनों में इसकी दैनिक आपूर्ति बढ़कर 1000 बोरी के आसपास पहुंचने की संभावना है।
चालू माह (दिसम्बर) के अंत तक भारत को वहां से तुवर का निर्यात आरंभ हो सकता है। इसके कई अनुबंध पहले ही हो चुके है और अच्छी मात्रा में इसके आयात सौदे अब भी हो रहे हैं।
अफ्रीकी देश- मोजाम्बिक से आयात अटकने के कारण भारत को अन्य देशों के माल की सख्त जरूरत है और ऐसे समय में म्यांमार काफी मददगार साबित हो सकता है। वहां से अरहर (तुवर) का अधिकांश निर्यात भारत को ही किया जाता है।
श्याम नारसरिया के मुताबिक जहां तक उड़द का सवाल है तो म्यांमार में फिलहाल इसका करीब 1.00 लाख टन का पिछला बकाया स्टॉक मौजूद है जबकि चालू सीजन का उत्पादन भी तेजी से बढ़कर 8.00 लाख टन से ऊपर पहुंच जाने की उम्मीद है।
दरअसल कई क्षेत्रों में किसानों ने इस बार मूंग के बजाए उड़द की बिजाई को प्राथमिकता दी है जिससे इसके क्षेत्रफल में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है और मौसम के अनुकूल रहने से फसल की उपज दर में भी सुधार आने के आसार है।
वैसे तो म्यांमार की मंडियों में फरवरी 2024 से उड़द के नए माल की आवक जोर पकड़ने की संभावना है लेकिन इसकी एक छोटी मध्यवर्ती फसल अगले सप्ताह से मार्केट में आ सकती है। इस फसल का उत्पादन 30-40 हजार टन आंका जा रहा है। इसके फलस्वरूप वहां उड़द की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम बनी रहेगी और भारत को इसका नियमित निर्यात जारी रहेगा।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार चालू वर्ष के शुरूआती 11 महीनों में जनवरी-नवम्बर 2023 के दौरान म्यांमार से करीब 6.60 लाख टन उड़द तथा 2.48 लाख टन से अधिक तुवर का निर्यात हुआ।
नवम्बर 2023 के दौरान वहां से 66,298 टन उड़द एवं सिर्फ 3126 टन तुवर का शिपमेंट किया गया। तुवर का पिछला स्टॉक काफी कम बचा है इसलिए आगे इसका निर्यात प्रदर्शन नई फसल पर निर्भर करेगा। भारतीय आयातक भारी मात्रा में इसकी खरीद का प्रयास कर रहे है।