iGrain India - नई दिल्ली । पिछले एक साल के दौरान ज्वार, रागी एवं ब्राउन टॉप सहित अन्य किस्मों के मिलेट्स की कीमतों में 40 से 100 प्रतिशत तक की जरदस्त तेजी आई है। इसके कई कारण हैं। पहली बात तो यह है कि 2023 को 'अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष' के रूप में माने जा रहा है और केन्द्र सरकार ने इसे प्रचारित करने के लिए उनके कदम उठाए।
दूसरी बात यह है कि मिलेट्स के कारोबार में बहुराष्ट्रीय कंपनियां प्रवेश कर चुकी हैं जो ऊंचे दाम पर इसकी खरीद कर रही हैं। इसके अलावा खरीफ सीजन के दौरान मौसम एवं मानसून की हालत अनुकूल नहीं होने से मिलेट्स का उत्पादन प्रभावित हुआ और इसकी मांग तथा आपूर्ति के बीच अन्तर बढ़ गया मिलेट्स से अनेक नए उत्पादों का निर्माण होने लगा है जिसमें पास्ता, नूडल्स एवं स्नैक्स आदि शामिल हैं।
मिलेट्स आधारित स्टार्टअप्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इन इकाइयों को भारी मात्रा में अच्छी क्वालिटी के मिलेट्स की आवश्यकता पड़ती है जबकि इसकी आपूर्ति अपेक्षाकृत कम हो रही है। इस वर्ष मिलेट्स के प्रमुख उत्पादक इलाकों में मौसम की हालत अनिश्चित रही।
महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं तेलंगाना के ज्वार उत्पादक क्षेत्रों में सूखे का गंभीर संकट बना रहा जबकि दूसरी ओर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं तेलंगाना के ज्वार उत्पादक क्षेत्रों में सुखे का गंभीर संकट बना रहा जबकि दूसरी ओर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं केरल के हरी कंगनी (ब्राउन टॉप मिलेट्स) उत्पादक क्षेत्रों में जरूरत से ज्यादा बारिश हो गई जिससे इसका उत्पादन घट गया।
दिलचस्प तथ्य यह है कि सर्वोत्तम क्वालिटी के ज्वार एवं रागी का भाव गेहूं की तुलना में क्रमश: 150 प्रतिशत एवं 45 प्रतिशत ऊपर पहुंच गया है जिससे इसकी मांग एवं आपूर्ति के बीच विशाल अंतर का स्पष्ट संकेत मिलता है।
अनेक ग्राहकों के लिए तो इसे खरीदना भी मुश्किल हो गया है। एक अग्रणी कम्पनी के अनुसार सभी किस्मों एवं श्रेणियों के मिलेट्स की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है और इसका सिलसिला अभी जारी है। सरकारी स्कूलों में मिलेट्स से निर्मित खाना परोसा जाने लगा है प्रत्येक माह इसका दाम 15-20 प्रतिशत की दर से बढ़ता रहा है। इसका स्टॉक भी कम है।