iGrain India - कलबुर्गी । हालांकि बंगाल की खाड़ी से उत्पन्न समुद्री चक्रवाती तूफान का सर्वाधिक असर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं पांडिचेरी पर पड़ने का अनुमान है लेकिन निकटवर्ती राज्य- कर्नाटक में भी तुवर की फसल इससे आंशिक रूप से प्रभावित होने की आशंका है।
दरअसल कर्नाटक में पिछले तीन-चार दिन से मौसम प्रतिकूल बना हुआ है इसलिए खासकर तुवर उत्पादकों की चिंता बढ़ गई है। वहां तुवर की फसल विभिन्न अवस्था में है। मानसून सीजन के दौरान राज्य में बारिश की हालत अनिश्चित एवं अनियमित रही जिससे फसल को काफी नुकसान हो चुका है। अब और क्षति होती है तो उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है। मालूम हो कि महाराष्ट्र के बाद कर्नाटक तुवर का दूसरा सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है।
कर्नाटक प्रदेश तुवर उत्पादक संघ के अध्यक्ष का कहना है कि राज्य के जिन इलाकों में तुवर की बिजाई देर से हुई वहां फसल में फूल लग रहे हैं लेकिन जहां सही समय पर फसल की बिजाई हो गई वहां यह पकने के चरण में पहुंच गई है और अगले दो सप्ताह के अंदर यह फसल कटाई के लिए तैयार हो जाएगी।
बेमौसमी बादलों से भरे आसमान एवं धूप की कमी से फसल को पकने में कठिनाई हो सकती है जबकि पौधों से फूल गिरने की आशंका भी बढ़ेगी। यदि ऐसी हालत में बारिश हुई तो तुवर की क्वालिटी प्रभावित हो सकती है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर अरहर (तुवर) का उत्पादन क्षेत्र वर्ष 2022 के 46.12 लाख हेक्टेयर से घटकर 2023 के खरीफ सीजन में 43.86 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।
कर्नाटक में भी इसका रकबा समीक्षाधीन अवधि के दौरान 14.15 लाख हेक्टेयर से गिरकर 13.75 लाख हेक्टेयर एवं महाराष्ट्र में 11.69 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 11.17 लाख हेक्टेयर रह गया। इसी तरह तुवर का क्षेत्रफल आंध्र प्रदेश में 2.06 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.92 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया।
कृषि मंत्रालय ने अपने प्रथम अग्रिम अनुमान में तुवर का उत्पादन 2022-23 के 33.12 लाख टन से बढ़कर 2023-24 के सीजन में 34.21 लाख टन पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की है जिससे उद्योग- व्यापार क्षेत्र हैरान है।
कर्नाटक में तुवर की नई अगैती फसल की छिटपुट कटाई-तैयारी आरंभ हो गई है और वहां कलबुर्गी तथा रायचूर जैसी मंडियों में इसकी थोड़ी-बहुत आवक भी शुरू हो गई है। अगले 12-15 दिनों में इसकी कटाई-तैयारी एवं मंडियों में आवक की गति तेज होने की उम्मीद है।