iGrain India - भोपाल । मध्य प्रदेश में भाजपा की धमाकेदार जीत में अनेक कारकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा जिसमें बेहतर कृषि उत्पादन एवं किसानों की भलाई के लिए चलाए गए अनेक कार्यक्रम भी शामिल हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश में कृषि क्षेत्र की सफलता की तुलना स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पंजाब में हुए जबरदस्त कृषि विकास से की जा रही है। यह सच है कि मध्य प्रदेश में कृषि फसलों के विविधिकरण में सरकार को ज्यादा सफलता नहीं मिली है और न ही कृषि आधारित उद्योगों का जोरदार विकास-विस्तार हुआ है लेकिन इतना अवश्य है कि गेहूं, चना, सरसों एवं सोयाबीन सहित अन्य प्रमुख जिंसों के उत्पादन में कमी नहीं आई है। इसका कारण केन्द्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इन फसलों की अच्छी खरीद करना है।
पिछले दो दशकों के दौरान मध्य प्रदेश में कृषि क्षेत्र की विकास दर काफी अच्छी रही है और मौजूदा मुख्यमंत्री ने इस दिशा में बेहतरीन प्रयास किया है। वर्ष 2015-14 से 2022-23 के दौरान मध्य प्रदेश में कृषि क्षेत्र की वार्षिक औसत विकास दर 6.1 प्रतिशत दर्ज की गई जो इन दस वर्षों राष्ट्रीय स्तर पर औसत सालाना कृषि विकास दर 3.9 प्रतिशत से काफी बेहतर है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2004-05 से 2021-22 के बीच मध्य प्रदेश में कुल कृषि भूमि या कुल बिजाई क्षेत्र में केवल 5.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ और यह क्षेत्रफल 149.75 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 158.23 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा लेकिन इसका सकल बिजाई क्षेत्र 48.7 प्रतिशत उछलकर 300.49 लाख हेक्टेयर हो गया जो पहले 202.03 लाख हेक्टेयर था।
इससे संकेत मिलता है कि मध्य प्रदेश में किसानों ने एक ही खेत में दो से तीन फसलों का उत्पादन प्राप्त करना शुरू कर दिया जबकि पहले कई क्षेत्रों में एक फसल लेने के बाद किसान खेतों को लम्बे समय तक खाली छोड़ देते थे।
वर्तमान समय में यह क्षेत्रफल सभी राज्यों में सबसे ज्यादा है जबकि 2004-05 में वह उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान के बाद चौथे स्थान पर था। मध्य प्रदेश आज खाद्यान्न, दलहन एवं तिलहन फसलों के उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है।