iGrain India - नई दिल्ली । नवम्बर के अंतिम सप्ताह के दौरान महराष्ट्र, राजस्थान एवं गुजरात जैसे महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्यों में तेज हवा के साथ हुई बेमौसमी बारिश एवं ओलावृष्टि से कई फसलों को हानि होने की आशंका है जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।
इसमें खरीफ एवं रबी- दोनों सीजन की फसलें शामिल हैं। खरीफ कालीन फसलें परिपक्व होकर कटाई के लिए तैयार होने लगी थी जबकि रबी कालीन फसलों के पौधे अभी छोटे-छोटे हैं। जिन फसलों को विशेष नुकसान होने की सूचना मिल रही है उसमें सोयाबीन, कपास, तुवर, जीरा एवं अन्य दलहनों के साथ फसलों एवं सब्जियों की फसल भी शामिल है।
यह कहना असंगत नहीं होगा कि वर्ष 2023 का समय इन राज्यों में किसानों के लिए काफी चुनौती पूर्ण रहा है और मौसम की प्रतिकूल स्थिति के कारण पहले खरीफ फसलों को भारी क्षति हुई जबकि अब रबी फसलों को नुकसान होने की आशंका बढ़ती जा रही है।
सोयाबीन एवं कपास का दाम भी खुले बाजार में नरम पड़ा है। इससे पूर्व मार्च में भारी बेमौसमी वर्षा एवं ओलावृष्टि से रबी कालीन फसलों को काफी क्षति हुई थी जिससे 18,000 करोड़ रुपए से अधिक कृषि उत्पादन का नुकसान हुआ था। उसके बाद मानसून के आगमन में देरी होने तथा अगस्त में भयंकर सूखा पड़ने से खरीफ फसलें बुरी तरह क्षति ग्रस्त हो गई।
हालांकि मार्च में महाराष्ट्र सरकार ने फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को समुचित मुआवजा देने की घोषणा की थी लेकिन अब तक किसान इसका इंतजार ही कर रहे हैं। अब हाल के दिनों में वर्षा एवं ओलावृष्टि से फसलों को जो क्षति हुई है उससे किसानों की मुसीबत और भी बढ़ गई है। उन्हें रबी फसलों की बिजाई में भारी कठिनाई हो सकती है।
महाराष्ट्र सरकार ने जो आरंभिक अनुमान लगाया है उससे पता चलता है कि नवम्बर की वर्षा से राज्य में करीब 60 हजार हेक्टेयर में फसलें बर्बाद हुई हैं। कृषि अर्थशास्त्रियों के अनुसार बेमौस बेमौसमी बारिश एवं ओलावृष्टि से इन तीन प्रांतों- महाराष्ट्र, राजस्थान एवं गुजरात में संयुक्त रूप से 30 अरब (3000 करोड़) रुपए से अधिक मूल्य की फसलों को नुकसान हुआ। इससे घरेलू बाजार मूल्य पर असर पड़ने की संभावना है। कुछ उत्पादों की कीमतों में तेजी के संकेत भी मिलने लगे है।