iGrain India - भटिंडा । केन्द्र सरकार की अधीनस्थ एजेंसी- भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने अबोहर के किसानों को आश्वस्त किया है कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 7 दिसम्बर से स्थानीय अनाज मंडी में रूई की खरीद आरंभ करने पर सहमत है लेकिन शर्त यह है कि कपास की क्वालिटी अच्छी हो और एक बार में एक किसान की रूई का वजन 30 क्विंटल से ज्यादा न हो।
दरअसल कपास का भाव घटकर एमएसपी से काफी नीचे आने से चिंतित किसानों ने अबोहर- फाजिल्का रोड को जाम कर दिया था जिसे देखते हुए पंजाब सरकार ने सीसीआई से कपास की खरीद शुरू करने का आग्रह किया और निगम ने किसानों के साथ बैठक करके खरीद का आश्वासन दिया।
फाजिल्का जिला प्रशासन की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका रही। उल्लेखनीय है कि निगम ने कुछ दिन पूर्व मुख्यत: अबोहर के क्रय केन्द्रों पर किसानों से रूई खरीदना बंद कर दिया था जिससे उत्पादकों की कठिनाई बढ़ गई थी।
ध्यान देने की बात है कि अबोहर पंजाब में कपास के सबसे प्रमुख क्रय केन्द्रों में से एक हैं। निगम की खरीदारी बंद होने के बाद वहां कपास का भाव औंधे मुंह नीचे गिर गया और कुछ क्षेत्रों में तो यह लुढ़ककर 4500 रुपए प्रति क्विंटल करीब आ गया जो सरकारी समर्थन मूल्य से काफी नीचे है।
मालूम हो कि केन्द्र सरकार ने 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन हेतु कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लम्बे रेशे वाली किस्म के लिए 7020 रुपए प्रति क्विंटल एवं मध्यम रेशेवाली श्रेणी के लिए 6620 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया है।
पंजाब में कपास का बिजाई क्षेत्र पिछले साल 2.48 लाख हेक्टेयर रहा था जो चालू वर्ष में घटकर 1.75 लाख हेक्टेयर रह गया। प्राकृतिक आपदाओं एवं कीड़ों- रोगों के प्रकोप से वहां कपास की फसल को क्षति हुई जबकि कीमत भी काफी कमजोर चल रही है।
इससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। किसान नेताओं का कहना है कि कुछ लोग राजस्थान के गांवों से घटिया कपास अबोहर के पास ला रहे हैं जिससे कीमतों में नरमी आ गई है। उस पर रोक लगाई जानी चाहिए।
राजस्थान के किसानों को पंजाब में थोड़ी-बहुत मात्रा में कपास बेचने की स्वीकृति इस शर्त पर दी गई है कि उसकी क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए। यदि क्वालिटी सही नहीं होगी तो उन्हें कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त नहीं हो सकेगा। पंजाब की रूई अच्छी क्वालिटी की होती है।