iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अधीनस्थ संस्था- नेपाल एग्रीकल्चरल रिसर्च सिस्टम (नार्स) द्वारा दलहन सहित अन्य फसलों के लिए क्षेत्र विशेष के अनुकूल उच्च उपज दर एवं जलवायु प्रतिरोधी किस्मों का विकास किया जा रहा है।
वर्ष 2014 से कृषि वैज्ञानिकों द्वारा 14 किस्म के दलहनों की 369 प्रजातियों को जारी एवं अधिसूचित किया जा चुका है। इसमें बिहार के लिए 7 दलहन फसलों की 24 नई किस्में भी शामिल हैं। सितम्बर 2023 तक बिहार में खेती के लिए उपयुक्त चना एवं मटर की 6-6, अरहर (तुवर) की 5, फाबाबीन की 3, मूंग की 2 तथा उड़द एवं मसूर की 1-1 नई एवं उन्नत किस्म जारी की जा चुकी है।
सरकार किसानों को जल्दी से जल्दी दलहनों की नई-नई एवं उन्नत किस्में उपलब्ध करवाने के लिए अनेक कदम उठा रही हैं। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री के अनुसार उन्नत एवं उच्च उपज दर वाली किस्मों के बीज के लिए ब्रीडर सीड का उत्पादन एवं विपणन बढ़ाया जा रहा है।
पिछले पांच वर्षों के दौरान 15.60 लाख क्विंटल दलहनों के ब्रीडर सीड का उत्पादन हुआ और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा सार्वजनिक एवं प्राइवेट क्षेत्र की विभिन्न बीज उत्पादक एजेंसियों को उसकी आपूर्ति की गई। कृषि मंत्री के मुताबिक वर्ष 2016 में ब्रीडर सीड का उत्पादन बढ़ाने के लिए 150 दलहन सीड हब तथा 12 केन्द्रों की स्थापना की गई।
इन केन्द्रों में वर्ष 2016-17 से 2022-23 के दौरान 7.09 लाख क्विंटल क्वालिटी सीड तथा 21713 क्विंटल ब्रीडर सीड का उत्पादन एवं विपणन किया गया।
ग्रामीण स्तर पर उच्च क्वालिटी के बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सीड विलेज स्कीम के अंतर्गत वर्ष 2014 से 2023 के दौरान 98.07 किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। देश में दलहनों का उत्पादन बढ़ाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
मौसम की अनिश्चितता प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप तथा कीड़ों- रोगों के आघात से फसल को होने वाले नुकसान को घटाकर न्यूनतम स्तर पर लाने के लिए दलहनों की ऐसी नई एवं उन्नत किस्मों के बीज के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जिसमें प्रतिरोधी क्षमता अधिक से अधिक हो।