iGrain India - नई दिल्ली । गन्ना की कमजोर फसल को देखते हुए चालू सीजन के दौरान एथनॉल निर्माण में चीनी के उपयोग की मात्रा 30-35 लाख टन से ऊपर पहुंचना मुश्किल लगता है। पिछले सीजन में 40 लाख टन चीनी के समतुल्य गन्ना का इस्तेमाल एथनॉल निर्माण में हुआ था।
एक अग्रणी चीनी कम्पनी के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान देश में कुल मिलाकर 335 लाख टन चीनी का उत्पादन हो सकता है और इसमें से 35 लाख टन चीनी का उपयोग ही एथनॉल निर्माण में करना संभव हो पाएगा क्योंकि यदि इसमें चीनी के इस्तेमाल की मात्रा बढ़ाई गई तो आगामी महीनों में चीनी की मांग एवं आपूर्ति के बीच जटिलता बढ़ जाएगी।
तेल विपणन कंपनियों द्वारा जारी टेंडर का मूल्यांकन करने से पता चलता है कि एथनॉल निर्माण में अभ भी गन्ना जूस की अच्छी मात्रा का उपयोग हो रहा है। दरअसल देश में हाल के वर्षों में एथनॉल निर्माण की क्षमता बढ़ी है और मिलर्स इसका उपयोग करना चाहते हैं लेकिन यह जोखिम पूर्ण प्रयास हो सकता है। चीनी का उत्पादन कम होने पर स्थिति खराब हो सकती है।
सहकारी चीनी मिलों के संगठन ने चीनी का उत्पादन 291 लाख टन होने का अनुमान लगाया है जबकि एथनॉल निर्माण में 40 लाख टन चीनी के उपयोग की संभावना व्यक्त की है।
उद्योग समीक्षकों का कहना है कि इस बार खाद्य उद्देश्य के लिए चीनी के उत्पादन पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है ताकि इसके घरेलू बाजार भाव में अप्रत्याशित उछाल न आ सके।
पिछले सीजन में पेट्रोल में 12 प्रतिशत एथनॉल के मिश्रण का लक्ष्य हासिल किया गया जबकि इस वर्ष (2023-24 में) 15 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य नियत किया गया है। यह लक्ष्य प्राप्त करना कठिन होगा क्योंकि गन्ना जून के साथ-साथ खाद्यान्न पर आधारित एथनॉल के उत्पादन में भी गिरावट आने की संभावना है।
महाराष्ट्र एवं कर्नाटक जैसे राज्यों में गन्ना की फसल बहुत कमजोर है जिससे वहां चीनी के उत्पादन में भारी गिरावट आने की आशंका है। वहां एथनॉल निर्माण में चीनी का उपयोग बढ़ाना व्यावहारिक नहीं होगा। उत्तर प्रदेश में उपयोग सामान्य रह सकता है।