iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य स्कीम के अंतर्गत खाद्यान्न की कुल सरकारी खरीद 2014-15 के मार्केटिंग सीजन में 759.44 लाख टन रही थी जो 2022-23 के सीजन तक आते-आते बढ़कर 1062.69 लाख टन पर पहुंच गई।
इसके फलस्वरूप खाद्यान्न की खरीद पर होने वाला खर्च भी इस अवधि में 1.06 लाख करोड़ रुपए से उछलकर 2.28 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई। समर्थन मूल्य योजना से 1.60 करोड़ से अधिक किसानों को फायदा हुआ।
राष्ट्रीय किसान आयोग की एक सिफारिश यह थी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को उत्पादन के भारित औसत खर्च से कम से कम 50 प्रतिशत ऊपर होना चाहिए। तदनुरूप केन्द्र सरकार ने वित्त वर्ष 2018 -19 के आम बजट में इसकी घोषणा की थी कि एमएसपी को उत्पादन लागत के सापेक्ष डेढ़ गुणा ऊपर रहता जाएगा।
इसी आधार पर विभिन्न फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा किया जा रहा है। केन्द्र सरकार किसानों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है और उसके कल्याण के लिए अनेक योजनाएं चला रही है।
कृषि मंत्री के अनुसार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम- किसान) योजना का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजना के तहत फरवरी 2019 से अब तक देश के 11 करोड़ से अधिक किसानों के बीच 2.80 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि का वितरण किया जा चुका है।
ज्ञात हो कि इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक किसान को प्रत्येक चार माह पर तीन किस्तों में कुल 6000 रुपए वार्षिक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह राशि सीधे किसानों के बैंक खाते में जमा की जाती है।
सरकार द्वारा खाद्यान्न के संवर्ग में किसानों से मुख्यत: धान एवं गेहूं खरीदा जाता है और प्रत्येक वर्ष खरीफ तथा रबी सीजन के दौरान इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित होता है। इसके अलावा थोड़ी बहुत मात्रा में मोटे अनाजों की खरीद भी होती है।
किसान सम्मान निधि स्कीम के तहत वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान नवम्बर 2022 में किसानों के लिए 38,660 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में 58,258 करोड़ रुपए तथा 2021-22 के दौरान 67,121 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके थे।