iGrain India - नई दिल्ली । ऐसा प्रतीत होता है कि केन्द्र सरकार 7 दिसम्बर को जारी अपने उस आदेश को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है जिसमें 2023-24 के मार्केटिंग सीजन के दौरान एथनॉल के निर्माण में गन्ना जूस एवं शुगर सीरप के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई थी लेकिन चीनी उद्योग के जबरदस्त प्रतिरोध को देखते हुए वह एक कम्प्रोमाइज फार्मूला बनाने का प्रयास कर रही है ताकि मिलर्स को ज्यादा नुकसान न हो।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व शीर्ष उद्योग संस्था- इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने सरकार से एथनॉल के दाम में अपेक्षित बढ़ोत्तरी करने का आग्रह किया था ताकि चीनी मिलों / डिस्टीलरीज को होने वाले घाटे से बचाया जा सके।
सरकार तथा तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) इस मांग पर गम्भीरतापूर्वक विचार कर रही हैं। इसके तहत एक सम्यक फार्मूला तैयार किया जा सकता है जिसमें बी हैवी शीरा एवं सी हैवी शीरा से निर्मित एथनॉल के दाम में बढ़ोत्तरी करना शामिल हो सकता है।
इसके अलावा चीनी की आपूर्ति एवं उपलब्धता में वृद्धि का संकेत मिलने पर एथनॉल निर्माण में गन्ना जूस के इस्तेमाल की अनुमति भी दी जा सकती है। लेकिन इसकी मात्रा सीमित रखी जाएगी।
दरअसल चालू सीजन के दौरान महाराष्ट्र एवं कर्नाटक जैसे राज्यों में प्रतिकूल मौसम के कारण गन्ना की फसल काफी कमजोर दिखाई पड़ रही है जिससे चीनी के उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है।
सरकार चाहती है कि मिलर्स चीनी के उत्पादन में गन्ना की अधिक से अधिक मात्रा का उपयोग करे और एथनॉल के निर्माण में गन्ना जूस का प्रयोग बंद कर दे। इससे चीनी के कुल उत्पादन में पूर्व अनुमान के मुकाबले 20 से 30 लाख टन तक का इजाफा हो सकता है।
इसके बदले में कुछ ऐसा उपाए किया जाए जिससे एथनॉल निर्माताओं का घाटा न्यूनतम स्तर पर आ जाए। एथनॉल निर्माण में गन्ना जूस का उपयोग बंद करने का निर्णय वापस नहीं लिया जाएगा मगर कुछ एहतियाती कदम उठाए जा सकते हैं।