iGrain India - नई दिल्ली । भारत सरकार विभिन्न देशों के लिए चावल का निर्यात कोटा लगातार जारी कर रही है मगर इसके शिपमेंट के लिए जोरदार प्रयास नहीं हो रहा है। व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक रणनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए भारत सरकार की यह नीति काफी हद तक अनुकूल है जबकि घरेलू बाजार पर भी इसका कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ रहा है।
मालूम हो कि गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल एवं 100 प्रतिशत टूटे चावल (ब्रोकन राइस) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है मगर सरकार से सरकार स्तर पर इसका अनुबंध और शिपमेंट हो सकता है।
समीक्षकों के भारत सरकार अन्य देशों को और अधिक मात्रा में सफेद चावल एवं टुकड़ी चावल का निर्यात कोटा आवंटित कर सकती है ताकि उसके साथ अच्छे समबन्ध बरकरार रह सके। एक रेटिंग एजेंसी के मुताबिक भारत सरकार की यह रणनीति भविष्य में काफी कारगर साबित हो सकती है।
ऐसा प्रतीत होता है कि आगामी महीनों के दौरान भारत सरकार कुछ और जरूरतमंद देशों के साथ चावल निर्यात का कारोबर (अनुबंध) कर सकती है जिससे उन देशों के साथ आपसी रिश्ते को मजबूत बनाया जा सके।
चावल का वैश्विक बाजार भाव पहले ही उछलकर गत 15 वर्षों के शीर्ष स्तर पर पहुंच चुका है और इसकी आपूर्ति भी कम हो रही है। एशिया-अफ्रीका के अनेक देशों को भारतीय चावल की सख्त जरूरत है और भारत सरकार उसकी आवश्यकता को पूरा करने से हिचक नहीं रही है।
अल नीनो के कारण थाईलैंड के चावल का उत्पादन घटने की संभावना से स्थिति और भी खराब होने की आशंका है। ऐसी हालत में यदि भारत सरकार अपने मित्र देशों की मदद के लिए आगे आती है तो वैश्विक मंच पर ये देश भारत का सहयोग-समर्थन करने के लिए तैयार रह सकते हैं।
भारत से सफेद गैर बासमती चावल का व्यापारिक निर्यात जुलाई 2023 से बंद होने के कारण अनेक एशियाई एवं अफ्रीकी देशों में भाव तेजी से बढ़ गया। इसमें बांग्ला देश, नेपाल, बेनिन, अंगोला, कैमरून, जिबूती, गिनी, आइवरी कोस्ट एवं केन्या आदि शामिल है। इसके अलावा फिलीपींस, इंडोनेशिया तथा सिंगापूर जैसे देशों को भी भारतीय चावल की जरूरत है।