iGrain India - नई दिल्ली । एथनॉल के निर्माण में गन्ना जूस एवं शुगर सीरप के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के बाद सरकार अब खाद्यान्न और खासकर मक्का पर आधारित एथनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहित करना चाहती है।
इसके तहत डिस्टीलरिज को नियमित रूप से मक्का की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु एक नई योजना जल्दी ही क्रियान्वित की जा सकती है। केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने योजना का प्रारूप तैयार कर लिया है और शीघ्र ही केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इसकी स्वीकृति हासिल करने का प्रयास किया जायेगा।
इससे एक तरफ किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अपना मक्का बेचने का अवसर मिलेगा तो दूसरी ओर एथनॉल निर्माताओं को नियमित रुप से कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
खाद्य मंत्रालय का कहना है कि मंत्रियों की समिती सैद्धांतिक रूप से इस स्कीम में को मंजूरी दे चुकी है और अब कैबीनेट से इसकी स्वीकृति मिलनी बाकी है। इस स्कीम के तहत नैफेड एवं एनसीसीएफ जैसी सहकारी एजेंसियां सीधे किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्का की खरीद करेंगी और फिर उसके स्टॉक को अनाज आधारित डिस्टीलरीज को उपलब्ध करवाएगी।
इस मक्का के दाम में न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी टैक्स शामिल होगा। इसके अलावा जो खर्च बैठेगा वह सरकारी एजेंसियां वहन करेंगी और इसके लिए केन्द्र सरकार उसे वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। यह अतिरिक्त खर्च अधिक से अधिक 10 प्रतिशत बैठने की संभावना है।
देश में मक्का की उपज दर एवं पैदावार बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण प्लान तैयार किया जा रहा है। वर्तमान समय में लगभग 360 लाख टन मक्का का घरेलू उत्पादन होता है जिसे बढ़ाकर 400 लाख टन से ऊपर पहुंचाने की योजना बनाई गई है। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय इसके लिए लुधियाना स्थित भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर काम कर रहा है।
मालूम हो कि पहले भारतीय खाद्य निगम द्वारा अनाज आधारित डिस्टीलरीज को एथनॉल निर्माण के लिए अपने स्टॉक से चावल तथा गेहूं की आपूर्ति की जाती थी लेकिन घरेलू उत्पादन घटने एवं दाम बढ़ने के बाद इसकी बिक्री को रोक दिया गया। इससे डिस्टीलरीज को खुले बाजार से अनाज खरीदने के लिए विवश होना पड़ा।